डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल के डीन एसआर वाकोडे (Dr Shyamrao Wakode) समेत बाल रोग विभाग के एक डॉक्टर के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। इसी अस्पताल में 30 सितंबर की रात 12 बजे से 1 अक्टूबर की रात 12 बजे तक 24 मरीजों की मौत हो गयी थी। जिसमें 12 नवजात बच्चे भी शामिल थे। यह अस्पताल मराठवाडा क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है।
डिलीवरी के बाद मां-बच्चे की मौत!
बताया जा रहा है कि 22 वर्षीय महिला अंजलि वाघमारे को डिलीवरी के लिए नांदेड के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शनिवार शाम को उसने बच्चे को जन्म दिया। महिला की नेचुरल डिलीवरी हुई और उसने एक लड़की को जन्म दिया। हालांकि, नवजात शिशु की शनिवार को ही मौत हो गयी। इसके बाद महिला की हालत भी बिगड़ गई और उसकी भी मौत हो गई।
45 हजार का मंगवाया दवा
इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है। हालाँकि अब परिवार ने पुलिस का रुख किया है और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया है। मृतक महिला के रिश्तेदार कामाजी टोम्पे ने नांदेड ग्रामीण पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है। जिसमें उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल होने पर भी उन्हें 45 हजार रुपये से ज्यादा की दवाएं बाहर से खरीदने को मजबूर होना पड़ा। खून और अन्य जांचों पर भी काफी पैसा खर्च हुआ। अस्पताल के डीन वाकोडे और बाल रोग विभाग के डॉक्टर ने जानबूझकर इलाज में लापरवाही की। इलाज के लिए कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। जिस वजह से मां और बच्चे की मौत हो गयी।
डीन पर लगाये गंभीर आरोप
शिकायत में कहा है कि अंजलि (मृतक महिला) को रात करीब 1 बजे नार्मल डिलीवरी हुई और उसने एक लड़की को जन्म दिया। डिलीवरी के बाद डॉक्टरों और स्टाफ ने बताया कि अंजलि और उसका बच्चा बिल्कुल स्वस्थ है। लेकिन सुबह अचानक अंजलि को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगी।
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इसी बीच, शंकरराव चव्हाण अस्पताल में भर्ती एक गर्भवती महिला और उसके नवजात बच्चे की मौत का मामला सामने आया है। परिवार की शिकायत पर पुलिस ने डीन व एक अन्य डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पीड़ित परिवार नांदेड के कंधार तालुक के कुरुला का रहने वाला है।डिलीवरी के बाद मां-बच्चे की मौत!
बताया जा रहा है कि 22 वर्षीय महिला अंजलि वाघमारे को डिलीवरी के लिए नांदेड के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शनिवार शाम को उसने बच्चे को जन्म दिया। महिला की नेचुरल डिलीवरी हुई और उसने एक लड़की को जन्म दिया। हालांकि, नवजात शिशु की शनिवार को ही मौत हो गयी। इसके बाद महिला की हालत भी बिगड़ गई और उसकी भी मौत हो गई।
45 हजार का मंगवाया दवा
इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है। हालाँकि अब परिवार ने पुलिस का रुख किया है और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया है। मृतक महिला के रिश्तेदार कामाजी टोम्पे ने नांदेड ग्रामीण पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है। जिसमें उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल होने पर भी उन्हें 45 हजार रुपये से ज्यादा की दवाएं बाहर से खरीदने को मजबूर होना पड़ा। खून और अन्य जांचों पर भी काफी पैसा खर्च हुआ। अस्पताल के डीन वाकोडे और बाल रोग विभाग के डॉक्टर ने जानबूझकर इलाज में लापरवाही की। इलाज के लिए कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। जिस वजह से मां और बच्चे की मौत हो गयी।
डीन पर लगाये गंभीर आरोप
शिकायत में कहा है कि अंजलि (मृतक महिला) को रात करीब 1 बजे नार्मल डिलीवरी हुई और उसने एक लड़की को जन्म दिया। डिलीवरी के बाद डॉक्टरों और स्टाफ ने बताया कि अंजलि और उसका बच्चा बिल्कुल स्वस्थ है। लेकिन सुबह अचानक अंजलि को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगी।
फिर डॉक्टर ने हमें बताया कि बच्चे की तबीयत खराब हो गई है। साथ ही हमें ब्लड व अन्य सामान बाहर से लाने को कहा गया। लेकिन जब सब कुछ बाहर के मेडिकल से लाकर दिया गया तो मरीज के पास कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। काफी इंतजार करने के बाद कामाजी डीन वाकोडे के पास गए। उन्होंने मां-बेटी की हालत गंभीर होने की जानकारी डीन को दी और उनसे तुरंत डॉक्टर भेजने का अनुरोध किया।
शिकायतकर्ता ने कहा कि डीन एसआर वाकोडे ने जानबूझकर कोई कदम नहीं उठाया और उन्हें वहीं बैठाए रखा। काफी देर बाद भी कोई डॉक्टर या नर्स नहीं भेजा गया। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि डीन वाकोडे ने तब भी कोई कार्रवाई नहीं की जब दो लोग मौत के कगार पर थे।
पुलिस ने डीन और संबंधित विभाग के मुख्य मेडिकल अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आईपीसी की धारा 304 और 34 लगाई है। मेडिकल कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।