scriptNagpur News: आधार सेंटर ने 14 लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाया, जानें कैसे आसान हुआ यह मुश्किल काम | Nagpur News: Aadhar Center reunites 14 missing people with their families, learn how this difficult task became easy | Patrika News
मुंबई

Nagpur News: आधार सेंटर ने 14 लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाया, जानें कैसे आसान हुआ यह मुश्किल काम

महाराष्ट्र के नागपुर जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। नागपुर में एक आधार केंद्र ने 14 लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाने में मदद की। इन लोगों के परिवारों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके लापता होने की सूचना दर्ज कराई थी।

मुंबईAug 28, 2022 / 03:51 pm

Siddharth

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Aadhar Seva Kendra

महाराष्ट्र के नागपुर जिले में आधार कार्ड के लिए एक साधारण आवेदन ने उन 14 लोगों जिंदगी बदल दी है, जिनके बारे में सालों पहले देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके परिवारों ने लापता होने की सूचना दी थी। मनकापुर में आधार सेवा केंद्र ने पिछले एक साल में देश भर में बिखरे हुए विकलांग व्यक्तियों, महिलाओं समेत अन्य लोगों को उनके परिवार के साथ मिलाने में अहम भूमिका निभाई है। सेंटर के प्रबंधक मानद कैप्टन अनिल मराठे ने रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के दौरान विशेष मामलों की पहचान की, जिसमें बायोमेट्रिक्स के मुद्दों की वजह से आवेदन खारिज कर दिए जाएंगे।
कैप्टन अनिल मराठे ने बताया कि ये सब पिछले साल एक 18 वर्षीय मानसिक रूप से विकलांग शख्स के आवेदन के साथ शुरू हुआ, जिसके स्कूल को उसके आधार कार्ड के विवरण की जरूरत थी। हालांकि, बायोमेट्रिक्स के मुद्दों की वजह से उसका आवेदन हर बार खारिज हो जाता है।
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अनिल मराठे ने आगे बताया कि ये लड़का 8 साल की उम्र में एक रेलवे स्टेशन पर मिला था। उस लड़के की पूरा देखभाल एक अनाथालय और बाद में समर्थ दामले ने की, जिन्होंने उसे एक स्कूल में एडमिशन दिलवाया। जब लड़के का आवेदन बार-बार खारिज होता रहा, तो दामले ने मनकापुर में सेंटर का रुख किया। यहां पता लगा कि उसके लापता होने की सूचना मिलने से पहले 2011 में उसका आधार पंजीकरण हो चुका था। उन्होंने कहा कि जांच करने के बाद पता चला कि लड़के का नाम मोहम्मद आमिर था। वह मध्य प्रदेश के जबलपुर में अपने घर से लापता हो गया था। उसके आधार विवरण की मदद से हम उसके परिवार का पता लगाने में सफल रहे और जिसके बाद वह अपने परिवार से दोबारा मिल सका।
बायोमेट्रिक डाटा के आधार पर मिली सफलता: बता दें कि अनिल मराठे बेंगलुरु में यूआईडीएआई तकनीकी सेंटर और मुंबई में क्षेत्रीय कार्यालय की मदद से खास कोशिश कर रहे हैं। बायोमेट्रिक डाटा के आधार पर लापता व्यक्तियों के आधार विवरण ढूढ़ने में सफल रहे हैं। हाल ही में सेंटर ने 21 साल के दिव्यांग शख्स की बिहार में उसके परिवार से मिलाने में मदद की थी, जिसके 6 साल पहले लापता होने की खबर मिली थी। शख्स को प्रेम रमेश इंगले नाम दिया गया था, ये शख्स 15 साल की उम्र में नागपुर रेलवे स्टेशन पर मिला था। उसे एक अनाथालय में रखा गया था।
इस साल जुलाई में अनाथालय के अधिकारियों ने आधार रजिस्ट्रेशन के लिए एएसके का दौरा किया, लेकिन इस शख्स का आवेदन रिजेक्ट हो जा रहा था। जांच करने पर पाया चला कि इस शख्स के नाम पर पहले से ही आधार कार्ड था, जो 2016 में बनाया गया था। इस शख्स की पहचान बिहार के खगड़िया जिले के निवासी सोचन कुमार के रूप में हुई। 12 अगस्त को अंगूठे के निशान की मदद से उसकी पहचान का खुलासा हुआ। इसके बाद परिवार से संपर्क किया गया और 19 अगस्त को कानूनी प्रोसेस पूरा होने के बाद वह उसे परिवार के पास फिर से भेज दिया गया।
एक अधिकारी ने बताया कि संगठन अपने यहां रह रहे आश्रितों का आधार रजिस्ट्रेशन कराना चाहता था। सभी के साथ एक ही दिक्कत हो रही थी क्योंकि उनका नामांकन आईडी (ईआईडी) बार-बार रिजेक्ट हो जा रहा था। उन्होंने कहा कि 25 लापता लोगों का विवरण मिला है। इनमें से 7 को उनके परिवारों से मिला दिया गया है। वहीं, 18 अन्य के परिवारों का पता लगाने का प्रोसेस जारी है।

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