रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए एमवीए सीट बंटवारे को अगले महीने तक अंतिम रूप देगा और फिर उम्मीदवारों का ऐलान किया जाएगा। उम्मीदवारों के चयन का आधार उनका पिछला चुनावी प्रदर्शन नहीं, बल्कि उनकी जीत की संभावना पर किया जाएगा।
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विपक्षी गठबंधन के सूत्रों ने कहा कि एमवीए गठबंधन के लिए सीट बंटवारे का काम अगले महीने की शुरुआत में हो जाएगा। इसमें गठबंधन सहयोगियों द्वारा आपस में कुछ सीट की अदला-बदली भी की जा सकती है। हाल के लोकसभा चुनाव में एमवीए गठबंधन में सबसे अच्छा प्रदर्शन कांग्रेस का रहा है। कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस ने 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और 13 पर जीत हासिल की। वहीँ, एमवीए में कांग्रेस की साथी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) 9 और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) 8 सीटें जीतने में कामयाब रही।
विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे की बातचीत में तब तेजी आई जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दिल्ली जाकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और ‘इंडिया’ गठबंधन के कुछ अन्य नेताओं से मुलाकात की।
ठाकरे के साथ बैठक के बाद खरगे ने कहा, महाराष्ट्र के किसान और नौजवान अवसरवादी बीजेपी गठबंधन से परेशान हैं। महाराष्ट्र की 13 करोड़ जनता बदलाव की ओर देख रही है। इस दौरान ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य और राज्यसभा सदस्य संजय राउत भी थे। वहीँ, राहुल गांधी ने कहा कि एमवीए एकजुटता के साथ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ेगी और जीतेगी।
उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात की। उन्होंने दिल्ली दौरे के दौरान मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और उनके माता-पिता से भी मुलाकात की।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में 288 सीटों में से अविभाजित शिवसेना ने 56 सीटें, अविभाजित एनसीपी ने 54 सीटें और कांग्रेस ने 45 सीटें जीती थीं। तब अविभाजित शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। लेकिन नतीजे आने के बाद सीएम पद को लेकर विवाद होने पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना एनडीए से अलग हो गई।
जिसके बाद शरद पवार ने विभिन्न विचारधाराओं वाले शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को एक साथ लाकर एमवीए का गठन किया था। तब उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। करीब ढाई साल बाद एकनाथ शिंदे अधिकतर शिवसेना विधायकों को साथ लेकर उद्धव ठाकरे से अलग हो गए और उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। इसके एक साल बाद जुलाई 2023 में अजित पवार ने चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से नाता तोड़ लिया और शिवसेना (शिंदे)-बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार में शामिल हो गए।