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Mumbai: जिस बैंक में लगाया झाड़ू अब उसी बैंक में बनीं AGM, जानें प्रतीक्षा टोंडवलकर की दिल को छू लेने वाली स्टोरी

मुंबई की प्रतीक्षा टोंडवलकर का जन्म 1964 में पुणे में हुआ था। उनके माता-पिता बहुत गरीब थे और उन्होंने 10वीं कक्षा की परीक्षा पूरी करने से पहले 16 साल की उम्र में सदाशिव कडू से उनकी शादी कर दी। प्रतीक्षा टोंडवलकर एक बैंक में झाड़ू लगाती थी।

मुंबईAug 02, 2022 / 05:06 pm

Siddharth

Pratiksha Tondwalkar

मुंबई में महज 20 साल की ही उम्र में प्रतीक्षा टोंडवलकर ने अपने पति को खो दिया था। अपने पति को खोने के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मुंबई शाखा में एक छोटा सा काम शुरू किया। इस दौरान प्रतीक्षा टोंडवलकर ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वह 37 साल बाद देश की प्रमुख बैंक के टॉप ऑफिसरों में से एक बन जाएगी। प्रतीक्षा टोंडवलकर ने अपने करियर की शुरुआत एक सफाई कर्मचारी के रूप में की थी।
तब तक प्रतीक्षा टोंडवलकर ने स्कूल तक की भी पढ़ाई पूरी नहीं की थी। लेकिन अपने और अपने बेटे के लिए एक बेहतरीन जिंदगी की खोज के लिए उनके दृढ़ संकल्प के चलते उन्होंने पढ़ाई की और कड़ी मेहनत की। जिसका परिणाम सबके सामने है। अब प्रतीक्षा टोंडवलकर देश के सबसे बड़े बैंक में से एक एसबीआई में सहायक महाप्रबंधक के पद पर प्रवर्तित किया गया है।
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बता दें कि प्रतीक्षा टोंडवलकर का जन्म 1964 में पुणे में हुआ था। उनके माता-पिता बहुत गरीब थे और उन्होंने 10वीं की परीक्षा पूरी करने से पहले 16 साल की उम्र में सदाशिव कडू से शादी हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सदाशिव कडू मुंबई में रहते थे और एसबीआई में बुक बाइंडर के रूप में काम करते थे। शादी के एक साल बाद जब उनके पहले बेटे विनायक का जन्म हुआ, तो परिवार ने भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए बेटे के साथ गांव जाने का फैसला किया। उन्हें क्या पता था कि उनका ये फैसला जिंदगी बदलकर रख देगी।
यात्रा के दौरान प्रतीक्षा टोंडवलकर के पति सदाशिव कडू का एक्सीडेंट हो गया और उनकी मौत हो गई। महज 20 साल की उम्र में विधवा हुई प्रतीक्षा टोंडवलकर की जिंदगी में दुखो का पहाड़ टूट पड़ा। अब प्रतीक्षा टोंडवलकर पर अपनी और अपने बेटे की देखभाल की जिम्मेदारी थी। टोंडवलकर ने एक इंटरव्यू में बताया कि उस समय मुझे अपने पति का बकाया लेने के लिए एसबीआई के ब्रांच में जाना पड़ा था। मुझे पता था कि मुझे नौकरी करनी है लेकिन मैं योग्य नहीं थी। इसलिए, मैंने बैंक से नौकरी में मदद करने के लिए कहा ताकि मैं अपना और अपने बच्चे का ख्याल रख सकूं।
इसके बाद प्रतीक्षा टोंडवलकर ने बैंक में एक सफाई कर्मचारी के रूप में काम करना शुरू किया। वह सुबह दो घंटे तक शाखा परिसर में झाडू लगाने, वॉशरूम की सफाई करने का काम करती थी, जिसके बाद उन्हें हर महीने 60-65 रुपये मिलते थे। उनका बचा हुआ समय दूसरे छोटे छोटे कामों, मुंबई में जीवन निर्वाह और अपने बेटे की देखभाल के लिए समर्पित था। उन्होंने बताया कि मुझे पता था कि मैं इसके लिए नहीं था। मैंने लोगों को ऑफिस में ऑफिसरों को काम करते देखा और मुझे पता था कि मैं उनमें से एक बनना चाहती हूं।
इसके बाद प्रतीक्षा टोंडवलकर ने सभी जगहों से पूछताछ करना शुरू कर दिया कि वह अपनी 10वीं की परीक्षा कैसे पास कर सकती है। इस दौरान उन्होंने कुछ बैंक अधिकारियों से संपर्क किया जो उनकी मदद करने के लिए तैयार थे। अधिकारियों ने प्रतीक्षा का परीक्षा फॉर्म भरने में मदद की और यहां तक कि पढ़ने के लिए एक महीने की छुट्टी भी दी। कक्षा 10 की परीक्षा में प्रतीक्षा को 60 प्रतिशत अंक मिले।
प्रतीक्षा टोंडवलकर ने आगे कहा कि परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा। टोंडवलकर को पता था कि उसे अपने आर्थिक समस्या से बाहर निकलने और अपने बेटे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बैंकिंग परीक्षा पास करनी होगी। बैंकिंग परीक्षाओं में कक्षा 12 पास करने के लिए न्यूनतम योग्यता की आवश्यकता होती है। प्रतीक्षा टोंडवलकर ने बताया कि मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जब भी मेरा बेटा बिस्कुट का एक पैकेट मांगता, मैं बस में एक स्टॉप पहले उतर जाती थी ताकि मैं पैसे बचा सकूं उसके लिए बिस्कुट खरीद सकूं।
प्रतीक्षा टोंडवलकर ने अपनी थोड़ी सेविंग की मदद से मुंबई के विक्रोली में एक नाइट कॉलेज में एडमिशन लेने का फैसला किया। उसने सहकर्मियों की मदद से अध्ययन किया, कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण की और 1995 में एक नाइट कॉलेज का चयन करके मनोविज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। सन 1993 में, टोंडवलकर ने दूसरी बार प्रमोद टोंडवलकर से शादी करने का फैसला किया। उनके पति एक बैंक संदेशवाहक सहायक थे और उन्होंने उन्हें बैंकिंग परीक्षा में बैठने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रतीक्षा के बड़े बेटे विनायक ने भी परिवार का सहयोग करने के लिए कदम बढ़ाया और अपनी मां को और अधिक पढ़ाई करने और कभी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित किया। साल 2004 में प्रतीक्षा टोंडवलकर को एक प्रशिक्षु अधिकारी के रूप में प्रवर्तित किया गया था। इसके बाद उन्होंने जून में एजीएम के रूप में पदोन्नत होने से पहले अलग-अलग अधिकारी ग्रेडों को बढ़ाया।
प्रतीक्षा टोंडवलकर के पास अब रिटायर्ड होने में अभी दो साल का समय है। एसबीआई के साथ अपने 37 साल के कार्यकाल के दौरान उनकी दृढ़ता, धैर्य और दृढ़ संकल्प ने उन्हें सबकुछ दिलाया। बता दें कि टोंडवलकर ने 2021 में नेचुरोपैथी का कोर्स पूरा किया और रिटायरमेंट के बाद वह लोगों की सेवा करना चाहती हैं। तोंडवलकर भावुक हो गई और कहा कि जब मैं अपनी जर्नी को पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मुझे यह सब नामुमकिन लगता है, लेकिन मैं खुश हूं कि मैंने ये सब हासिल किया।

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