प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के बाद मराठी भाषा के संरक्षण और विकास के लिए धन उपलब्ध होगा। मराठी पढ़ाने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों में अलग प्रकोष्ठ स्थापित करने में आसानी होगी। यह मराठी भाषा के प्रसार के लिए चलाए जा रहे पुस्तकालयों को और मजबूत करने में भी मदद करेगा।
बता दें कि साल 2014-19 के दौरान बीजेपी के नेतृत्व वाली फडणवीस सरकार और बाद में महा विकास अघाड़ी सरकार द्वारा भी इसी तरह की मांग की गई थी। राहुल शेवाले जो अब लोकसभा में शिवसेना संसदीय दल के नेता हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलगू, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे चुका है। साल 2012 में प्रो रंगनाथ पाथरे की अध्यक्षता में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की अर्जी करते हुए 2013 में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को दे दिया गया था। मराठी एक समृद्ध भाषा है जिसकी 2,500 से अधिक सालों से परंपरा है। समिति ने कहा है कि मराठी भाषा शास्त्रीय भाषा का दर्जा पाने के लिए सभी निर्धारित मानदंडों को पूरा करती है।
राहुल शेवाले ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा 2016 में मथाथी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने के मामले के बाद भी अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। राज्य मराठी भाषा विभाग के मुताबिक, एक बार जब किसी भाषा को शास्त्रीय के रूप में अधिसूचित किया जाता है, तो उस भाषा के विद्वानों को दो वार्षिक पुरस्कार दिए जाते हैं, उस भाषा में अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाता है और यूजीसी को उसके लिए एक जगह बनाने के लिए कहा जाता है।