एफआईआर के मुताबिक, महिला साल 2015 में कम से कम 3 मौकों पर और पिछले साल करीब दो बार एक फॅमिली कोर्ट में वकील के रूप में पेश हुई थी। रविवार को बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट से अपनी पुलिस हिरासत की मांग करते हुए, बीकेसी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने मजिस्ट्रेट से कहा कि महिला अलग-अलग कोर्ट में एक वकील के रूप में पेश हुई और लोगों के साथ-साथ न्यायपालिका को भी धोखा दिया। महिला एक लाइसेंस का उपयोग कर रही थी जो किसी और के नाम पर था। महिला ने अपनी कानून की डिग्री या लाइसेंस कार्ड जमा नहीं किया और पुलिस जांच में मदद नहीं किया। सेशन कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है।
बता दें कि शिकायतकर्ता अकबर खान (जो पेशे से वकील भी है) ने बताया कि पिछले साल दिसंबर में मुझे इस बात की जानकारी मिली कि महिला फैमिली कोर्ट में पेश हो रही थी और बिना लाइसेंस और डिग्री के वकालतनामा दाखिल कर रही थीं। मैं 10 साल तक एक ऑटो चालक था। इसके साथ ही मैंने अपना कानून की पढ़ाई पूरी किया और एक वकील हूं। मुझे लगा कि यह सही नहीं है कि कोई वकील बिना लाइसेंस और डिग्री के कानून की प्रैक्टिस कर रहा है। इसलिए इस साल फरवरी में मैंने फैमिली कोर्ट, पुलिस और बार काउंसिल में शिकायत दर्ज कराई। महाराष्ट्र और गोवा के बार काउंसिल के सचिव ने भी बीकेसी पुलिस स्टेशन को एक चिठ्ठी में जवाब दिया है कि महिला बतौर वकील उनके साथ नामांकित नहीं है।
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आगे की जांच के लिए महिला को 20 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस इस बात का पता लगाना चाहती हैं कि वह किसके सनद नंबर का उपयोग कर रही थी, जिसने जालसाजी में महिला का सहयोग किया, और उन्हें अन्य कोर्ट में सबूत हासिल करने की जरूरत है जहां उसने वकालतनामा दायर किया है।