वहीं, दूसरी तरफ भक्तों की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन की ओर से पर्याप्त बंदोबस्त भी किए गए हैं। श्री मुंबा देवी मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक हेमंत जाधव ने बताया कि मंदिर के पट नवरात्र के पहले दिन सुबह 5:30 बजे मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे। घट स्थापना प्रात: 6:30 मिनट से 7 बजे के बीच हुई। नवरात्रि के पूरे नौ दिन 25 पंडितों द्वारा मंदिर में दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जाएगा।
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हेमंत जाधव ने ये भी बताया कि मंदिर का पट भक्तों के लिए रात को 11 बजे तक खुला रहेगा। 4 अक्टूबर को नवमी का हवन सुबह 6 बजे से शुरू होगा और दोपहर के 1:30 मिनट के आसपास पूर्णाहुति दी जाएगा। वहीं उन्होंने भक्तों से अपील की कि नवरात्र के दौरान मंदिर में दर्शन करने आ रहे श्रद्धालु अपने साथ बैग आदि कोई वस्तु साथ न लाएं। मुंबा देवी मंदिर का इतिहास: बता दें कि मुंबई का नाम मुंबा यानी मुंबा देवी के नाम से ही बना है। इस मंदिर का इतिहास करीब 400 साल पुराना है। लोगों का कहना है कि ये मंदिर मछुआरों द्वारा स्थापित किया गया है। उनका मानना था कि मुंबा देवी समुद्र से उनकी रक्षा करती हैं। मुंबा देवी मंदिर को बनाने के लिए पांडू सेठ ने जमीन दान की थी। इसलिए सालों तक उनका परिवार ही मंदिर की देख-रेख करता रहा था। जिसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि अब मंदिर की देख-रेख मुंबा देवी मंदिर न्यास करेगा। मां मुंबा हर दिन अलग-अलग वाहनों पर सावर होती है जिन्हें चांदी से बनाया गया है। इस मंदिर में रोजाना 6 बार आरती की जाती है।