scriptMumbai News: प्रोटेक्शन के बावजूद प्रेग्नेंट हुई अविवाहित महिला, नहीं चाहिए बच्चा इसलिए खटखटाया कोर्ट का दरवाजा; जानें पूरा मामला | Mumbai News: Despite protection, an unmarried woman got pregnant, did not want a child, so knocked on the door of the court; Know the whole matter | Patrika News
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Mumbai News: प्रोटेक्शन के बावजूद प्रेग्नेंट हुई अविवाहित महिला, नहीं चाहिए बच्चा इसलिए खटखटाया कोर्ट का दरवाजा; जानें पूरा मामला

एक अविवाहित महिला गर्भनिरोधक उपायों (प्रोटेक्शन) के फेल हो जाने से गर्भवती हो गई। वह अपने गर्भ को गिराने के लिए बाॅम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड गठित किया, जिसने बताया कि एमटीपी करने पर जीवित बच्चा पैदा होने की संभावना बहुत ज्यादा है, क्योंकि गर्भधारण 25.4 सप्ताह का है।

मुंबईSep 18, 2022 / 06:27 pm

Siddharth

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महिला को अपने 26 सप्ताह के गर्भ को मेडिकल रूप से खत्म करने की इजाजत सिर्फ तभी दी, जब डॉक्टर इस बात की पुष्टि करें कि प्रोसेस के बाद बच्चा जिंदा पैदा नहीं हो सकता है। शुक्रवार को कोर्ट ने महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया, ‘यदि डॉक्टरों की राय है कि गर्भावस्था को खत्म करने के समय बच्चा जिंदा पैदा नहीं हो सकता है, तो याचिकाकर्ता को गर्भावस्था को खत्म करने की अनुमति है। महिला (21) ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि उसका मामला 20 से 24 सप्ताह तक एमटीपी (संशोधन), 2021 के तहत पात्र महिलाओं की केटेगरी में नहीं आता है।
उसकी गर्भावस्था अपने साथी के साथ सहमति से बनाए गए संबंध और गर्भनिरोधक उपकरण की विफलता की वजह से हुई थी। जेजे हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड की 8 सितंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि अपरिपक्व या गर्भवती महिला के शरीर में कोई विकृति नहीं पाई गई।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जेजे हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड की 8 सितंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि अपरिपक्व या गर्भवती महिला के शरीर में कोई असामान्यता नहीं पाई गई है। मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि गर्भावस्था करीब 26 सप्ताह की है और इस स्तर पर एमटीपी के परिणामस्वरूप समय से पहले पैदा होने वाले बच्चे को गहन देखभाल प्रबंधन की जरूरत होगी। हाईकोर्ट ने 13 सितंबर को मेडिकल बोर्ड को महिला की गर्भावस्था की अवधि पर फिर से जांच करने का निर्देश दिया।
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बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि जन्म लेने वाले बच्चे का ख्याल रखना होगा और ऐसा नहीं होना चाहिए कि समय से पहले पैदा होने की वजह से वह किसी शारीरिक विकृति का शिकार हो जाए। जजों ने कहा कि अगर डाॅक्टर्स यह कह दें कि बच्चा जिंदा पैदा नहीं होगा, तो हमें एमटीपी की अनुमति देने में कोई दिक्कत नहीं है।

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