मध्य रेलवे ने पीक आवर्स के दौरान भीड़ कम करने के लिए अपने मुंबई कार्यालय में कर्मचारियों के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया है। साथ ही रेलवे ने कई बड़ी कंपनियों से अपने कर्मचारियों के कार्यालय आने के समय में बदलाव करने का सुझाव दिया है। इससे भीड़भाड़ वाली ट्रेनों से यात्रियों के गिरने की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
रेलवे के अनुसार, रेल पटरियों पर 60 प्रतिशत से अधिक मौतें रेलवे लाइनों को पार करने के कारण होती हैं। सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल सितंबर 2023 तक 571 लोगों की मौत ट्रेसपासिंग (पटरी पार करना) के कारण हुई है, जबकि जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 के बीच इससे 654 लोगों की जान गयी थी।
आधारित आंकड़ों में कहा गया है कि सितंबर 2023 तक चलती ट्रेनों से गिरकर 346 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि पिछले साल कुल 510 मौतें दर्ज की गईं। इस साल सितंबर तक चलती ट्रेन में खंभे से टकराने के कारण एक यात्री की मौत हुई है। वहीँ, जनवरी से दिसंबर 2022 के दौरान पटरियों के करीब मौजूद खंभे से टकराने की घटनाओं में पांच मौतें हुईं।
आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर तक ट्रेन और स्टेशन के बीच के गैप में गिरने के कारण पांच यात्रियों की मौत हुई, जबकि पिछले साल इसी कारण से दो लोगों की मौत हुई थी। सितंबर 2023 तक अन्य कारणों से चलती ट्रेनों में 307 लोगों की मौतें हुईं, जबकि 2022 में कुल 414 मौतें हुईं थी।
सेंट्रल ज़ोन ने 350 से अधिक संगठनों, कंपनियों को पत्र लिखकर अलग-अलग कार्यालय समय लागू करने की अपील की है। बता दें कि मुंबई में सेंट्रल रेलवे ने लोकल ट्रेनों में भीड़भाड़ कम करने के लिए अपने कर्मचारियों के लिए अलग-अलग काम के घंटे लागू किए हैं। जो सुबह 9.30 बजे से शाम 5.45 बजे और सुबह 11.30 बजे से शाम 7.45 बजे तक है।