बेटे को दोबारा जीवनदान देगी मां पिछले दो साल से डायलिसिस पर चल रहे पुत्र की तबियत में कोई सुधार नही होते देख पिता ने पुत्र को बचाने का फैसला लिया और वाशी स्थित एमजीएम हॉस्पिटल में अपनी किडनी बेटे को ट्रांसप्लांट करने को तैयार हुआ। पिता के इस कदम की सराहना की जा रही है। बाद में उन्हें आर्थिक सहायता देने के लिए कई लोगों ने हाथ बढ़ाया है।
यह भी पढ़े:-बेटे को किडनी देने मां तैयार, लेकिन ट्रांसप्लांट के लिए नहीं है पैसे यह भी पढ़े:-निर्भया केस: दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग का दावा करने वाले दोषी पवन की याचिका खारिज की
वाशी स्थित कोपरी गांव में पिछले करीब 35 वर्ष से अपने परिवार के साथ रह रहे करीब 35 से 40 वर्षीय परशुराम वाघमारे की दोनों किडनी खराब हो गई थी, लेकिन पिछले दो वर्ष से डायलिसिस किया जा रहा था, इसके बावजूद तबियत में कोई सुधार नहीं हो रहा था, ऊपर से आर्थिक स्थिति भी नाजुक होते जा रही थी। आखिरकार बेटे को मौत के करीब जाते देख पिता सुखदेव वाघमारे (60) से रहा नहीं गया और उन्होंने पुत्र की जान बचाने का फैसला लेते हुए अपनी किडनी बच्चे को दे दी। कोपरी गांव निवासी पिता के इस कार्य को सलाम कर रहे हैं तो एनसीपी पदाधिकारी परशुराम ठाकुर ने इलाज के लिए आर्थिक मदद देने की घोषणा की है।
यह भी पढ़े:-आईपीएल नीलामी: शुरुआती दौर में ही पैट कमिंस पर लगी बड़ी बोली, 15.50 करोड़ में केकेआर के हुए यह भी पढ़े:-डायलिसिस कब, क्यों और कैसे? परशुराम मित्र मंडल की तरफ से आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है। सुखदेव वाघमारे इससे पहले ड्राइवर की नौकरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन उम्र की ढलान एवं अस्वस्थ रहने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़कर घर बैठ गए थे। वाशी स्थित एमजीएम हॉस्पिटल जाकर अपनी किडनी देकर बच्चे की जान में जान डाल दिया। एमजीएम के डॉक्टर अमित ने पिता की किडनी बेटे को ट्रांसप्लांट किया और वर्तमान में पिता-पुत्र पूरी तरह सुरक्षित हैं।