सीएम शिंदे ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कोस्टल रोड के टनल के निर्माण में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे यात्रा का समय 40-50 मिनट से घटकर 8 मिनट रह जाएगा। इसे अगले महीने वर्ली तक यातायात के लिए खोल दिया जाएगा।
मार्च में खुला था पहला चरण
महत्वाकांक्षी मुंबई कोस्टल रोड परियोजना का काम अक्टूबर 2018 में शुरू किया गया था। यह परियोजना बहुत बड़ा और जटिल होने के कारण कई दिक्कतें आईं। अदालती रोक और अन्य कारणों की वजह से परियोजना की डेडलाइन बार-बार बढ़ानी पड़ी। इसके अलावा दूसरे टनल की खुदाई के दौरान तकनीकी समस्या आई और खुदाई के काम में अधिक समय लगा। टनल बनाने का काम भारत के सबसे बड़े टीबीएम यानी टनल बोरिंग मशीन की मदद से किया गया है। मुंबई कोस्टल रोड के दोनों चरण शुरू होने पर यह प्रिंसेस स्ट्रीट (मरीन ड्राइव) से बांद्रा वर्ली सी लिंक के दक्षिणी छोर को कनेक्ट करेगा। कोस्टल रोड के पहले चरण का उद्घाटन मार्च में हुआ था।
मुंबई कोस्टल रोड की खासियतें
मुंबई शहर के यातायात को बेहतर करने की दृष्टि से यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। कोस्टल रोड के टनल अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर बनाए गए है। टनल समुद्र तल से 17-20 मीटर नीचे हैं। दुर्घटना या आग लगने की स्थिति में धुआं बाहर निकल जाएगा। इसमें ट्रैफिक मैनेजमेंट कंट्रोल सिस्टम लगाया गया है। कोस्टल रोड के पूरी तरह से शुरू होने पर ट्रैफिक जाम की समस्या से काफी हद तक निजात मिलेगी। इससे सफर करने पर न केवल समय बल्कि ईंधन की भी काफी बचत होगी। महत्वाकांक्षी कोस्टल रोड परियोजना की अनुमानित लागत 12,721 करोड़ रुपये है।