विदित हो कि कोयले की कमी के अलावा ओएनजीसी में गैस आधारित टर्बाइन की उपलब्धता भी प्रभावित हुई है। वहीं भुसावल, चंद्रपुर, खापरखेड़ा, नासिक और पारस को आपूर्ति किया जाने वाले कोयला केवल दस दिनों का बचा है, जो महानिर्मिति के लिए बिजली उत्पादन होती है। इसलिए इन बिजली उत्पादन सेटों के बीच आपाधापी चल रही है। नासिक के 210 मेगावाट बिजली संयंत्र में गीला और कीचड़ भरा कोयला हो रहा है, जिसके चलते 7 सितंबर से बिजली उत्पादन प्रभावित है।
गीले कोयले के चलते राज्य में 210 मेगावाट बिजली उत्पादन को फटका लगा है, इसके चलते 28 अगस्त से बिजली उत्पादन ठप है। वहीं विदर्भ इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 600 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 17 अगस्त से कोयला उपलब्ध नहीं है। कोयला आपूर्तिकर्ताओं के बीच वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल, महानदी कोलफील्ड लिमिटेड, एमसीएल) और सिंघरानी कोलरिज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) की ओर से कोयले की आपूर्ति में गिरावट से महाराष्ट्र में निजी बिजली उत्पादन कंपनियों से भी इसकी आपूर्ति सही से पूरी नहीं की जा रही है। इसीलिए बिजली निर्मिति के स्थानों पर औसत से कम कोयला है। वहीं आसार हैं कि अगर कोयले की खानों में बारिश कम नहीं होती है तो यह बिजली उत्पादन पर भी और भी ज्यादा असर डाल सकता है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में राज्य में अधिकतम 17 हजार 137 मेगावाट की मांग है। हालांकि कोयना बिजली परियोजना के साथ-साथ पवन ऊर्जा परियोजना और अस्थायी अल्पकालिक बिजली के कारण बिजली उत्पादन में घाटा कम हो गया है। वहीं ओएनजीसी में लगी आग ने महानिर्मिति और टाटा पॉवर दोनों को प्रभावित किया है। इसलिए इन कंपनियों को गैस की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए इन दोनों परियोजनाओं को बिजली पैदा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं महानिर्मिति के उरन में गैस आधारित बिजली संयंत्र में गैस की कमी के चलते 228 मेगावाट बिजली उत्पादन में कमी आई है। दूसरी ओर गैस की कमी के चलते टाटा पॉवर में भी की 180 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप हो गई है।
भारी बारिश ने कोयला उत्पादन स्थल को प्रभावित किया है। इससे कोयला शिपिंग प्रभावित हुआ है। इसके कारण कुछ क्षेत्रों में कोयले की उपलब्धता कम हो गई है। लेकिन मानसून खत्म होते ही जिन जगहों पर कोयले की आपूर्ति काम हुई है, वहां कोयले की अपेक्षित आपूर्ति भर जाएगी।
– पुरुषोत्तम जाधव, निदेशक, महानिर्मिति