आईएमडी पुणे में मौसम पूर्वानुमान विभाग की प्रमुख अनुपम कश्यपी ने कहा, “ओडिशा और आसपास के इलाकों में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। अपने अपेक्षित उत्तर-पश्चिम मूवमेंट के कारण मानसून दोनों ओर से धीरे-धीरे 6 जुलाई से फिर से सक्रिय होने की संभावना है। इस प्रणाली से दक्षिण-पश्चिम मानसून के बंगाल की खाड़ी की ओर और साथ ही अरब सागर की ओर भी मजबूत मिलेगी। और इससे 6 जुलाई के बाद महाराष्ट्र में मॉनसून फिर से शुरू हो जाएगा। हमने पुणे और सतारा जिले के लिए 6 जुलाई से चेतावनी जारी की है।“
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पश्चिमी महाराष्ट्र के कई हिस्सों में कम बारिश हुई है, जिसमें सतारा जिले के कुछ हिस्से भी शामिल हैं, जहां आमतौर पर भारी बारिश होती है। जुलाई से केवल तीन स्टेशनों ने अच्छी बारिश की सूचना दी है, हालांकि इस सीजन में ही कुल बारिश कम दर्ज हुई है। जून के अंत तक सतारा जिले के महाबलेश्वर में 52।4 मिमी, पाटन में 14 मिमी और जवाली मेधा में 9 मिमी वर्षा दर्ज की गई। जबकि जिले के अन्य सभी स्टेशनों में पांच मिमी से कम वर्षा या शून्य वर्षा दर्ज की गई।
आईएमडी के अनुसार जून की शुरुआत से सतारा जिले में 67 प्रतिशत वर्षा की कमी दर्ज की गई है। इस दौरान जिले में कुल सामान्य वर्षा लगभग 181।2 मिमी होने की उम्मीद थी, जो कि सिर्फ 59।4 मिमी ही हुई। हालांकि महाराष्ट्र में प्री-मानसून की कमी के चलते जून की शुरुआत के दौरान सतारा जिले में वर्षा की कमी 96 प्रतिशत थी।
मौसम विभाग के अनुसार, मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों में 5 जुलाई तक मॉनसून की बारिश कम हो जाएगी। और इसके बाद मानसूनी बारिश फिर से शुरू होने की संभावना है।
बता दें कि अपने निर्धारित आगमन (1 जून) से तीन दिन पहले 27 मई को केरल तट से टकराने के बाद दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों और मध्य भारत में मानसून की धीमी प्रगति देखी गई। फिर कमजोर प्रणाली के चलते मानसून करीब पांच दिनों तक आगे बढ़ा ही नहीं था।
मौसम विभाग ने जुलाई महीने में उत्तर भारत के कुछ हिस्सों, मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्सों में ‘सामान्य और सामान्य से ऊपर’ बारिश की भविष्यवाणी की है। जबकि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों और पूर्व मध्य भारत से सटे क्षेत्रों के साथ ही पश्चिम दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में ‘सामान्य और सामान्य से नीचे’ बारिश का अनुमान जताया है।