महाराष्ट्र में 8000 करोड़ का एंबुलेंस घोटाला! मंत्री के रिश्तेदार की भरी जेब, कांग्रेस का बड़ा आरोप
क्यों बदले देवड़ा?
मिलिंद देवड़ा ने दक्षिण मुंबई का दो बार प्रतिनिधित्व किया। वह पहली बार 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। 2009 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। लेकिन फिर 2014 में शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने उन्हें हरा दिया। 2019 में भी देवड़ा को सावंत ने शिकस्त दी।
कैसे बदला मुंबई का सियासी समीकरण?
दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट को कांग्रेस की झोली में डालने के लिए मिलिंद देवड़ा ने काफी कोशिशें कीं। उन्होंने कुछ दिन पहले दिल्ली जाकर आलाकमान से चर्चा करने की कोशिश की थी। लेकिन उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया। इससे पार्टी से उनकी नाराजगी बढ़ गई। आख़िरकार रविवार सुबह उन्होंने अपने इस्तीफ़े की घोषणा कर दी।
बीजेपी को नफा या नुकसान?
एक एक पहलु यह है कि चूँकि शिंदे के पास दक्षिण मुंबई में कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं था, इसलिए बीजेपी इस निर्वाचन क्षेत्र पर दावा करने की तैयारी कर रही थी। यह संभावना आज भी बनी हुई है। इस क्षेत्र के छह में से दो विधायक बीजेपी के हैं। मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा और स्पीकर राहुल नार्वेकर दोनों विधायकों के नाम लोकसभा के लिए चर्चा में हैं। लेकिन अब देवड़ा की वजह से शिंदे को एक मजबूत नेता मिल गया है। इसलिए शिंदे गुट इस सीट पर दावा कर सकता है। ऐसे में बीजेपी को समझौता करना पड़ेगा।
देवड़ा को राज्यसभा में जाने का मौका
राजनीतिक गलियारों में देवड़ा के राज्यसभा सांसद बनने की चर्चा जोरो पर है। क्योंकि दिल्ली में काम करने का अनुभव देवड़ा के पास है। वह केंद्रीय मंत्री रह चुके है। ऐसे में शिंदे की शिवसेना को दिल्ली की राजनीति में मजबूती मिलेगी। इससे शिंदे को मुंबई के साथ ही केंद्रीय राजनीति में भी फायदा होगा।
मुकेश अंबानी ने किया था समर्थन
मिलिंद देवड़ा के कांग्रेस छोड़ने का नतीजा लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। उनके साथ 10 पूर्व नगरसेवक, 20 पदाधिकारी शिंदे सेना में शामिल हो सकते हैं। दरअसल देवड़ा का अपने निर्वाचन क्षेत्र पर अच्छी पकड़ है। कई वर्षों से उनके उद्यमियों और व्यापारियों से घनिष्ठ संबंध हैं। यहां तक की दक्षिण मुंबई से मतदाता मुकेश अंबानी ने भी पिछले चुनाव में देवड़ा का समर्थन किया था।
विपक्ष की बढ़ाई टेंशन
दो बार लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद देवड़ा का दक्षिण मुंबई के मतदाताओं के बीच अच्छा प्रभाव है। वे सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से लगातार लोगों के संपर्क में रहते हैं। इसलिए अब अगर देवड़ा शिंदे की शिवसेना में जाते हैं तो इसका असर ठाकरे गुट के सांसद अरविंद सावंत पर भी पड़ेगा. इसके साथ ही बीजेपी और अजित दादा की एनसीपी का साथ भी शिंदे सेना को है। इस वजह से देवड़ा अगर दक्षिण मुंबई से चुनाव लड़ते है तो उन्हें परास्त करना आसान नहीं होगा।