मनोज जरांगे देर रात जालना स्थित अपने गांव अंतरवाली सराटी पहुंचे। आज सुबह उन्होंने मराठा समुदाय के साथ बैठक कर बड़ा फैसला लिया है। जरांगे ने कहा है कि भले ही सरकार ने उनके पक्ष में अध्यादेश पारित किया है, लेकिन उनका आंदोलन अभी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अगर नए कानून के तहत कम से कम एक व्यक्ति को लाभ मिलता है, तो हम तय करेंगे कि इस आंदोलन का आगे क्या करना है। मराठा समाज इस आंदोलन के प्रति उदासीन नहीं रहेगा। जिसका कुनबी रिकार्ड मिल गया है। उन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए और उनके निकटतम परिवार के सदस्यों को भी सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के आधार पर प्रमाण पत्र मिलना चाहिए। यह होने तक मराठा आंदोलन जारी रहेगा।
रविवार को हुई बैठक के बाद मनोज जरांगे ने बड़ा ऐलान किया है कि जब तक अध्यादेश को कानून में तब्दील कर लागू नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने यह भी कहा है कि वह सोमवार को रायगढ़ जाएंगे और छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के दर्शन करेंगे।
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अगस्त से लगातार आंदोलन कर रहे जरांगे ने स्पष्ट कहा कि जब तक आखिरी मराठा को आरक्षण प्रमाणपत्र नहीं मिल जाता, तब तक वह संघर्ष जारी रखेंगे। मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी मांगें मान लिये जाने के बाद शनिवार को अपना अनिश्चितकालीन उपवास खत्म कर दिया था। उनसे मिलने खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाशी गए थे। इस दौरान सीएम शिंदे ने घोषणा की थी कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता है, तब तक उन्हें ओबीसी को मिल रहे सभी लाभ मिलेंगे। कृषक समुदाय ‘कुनबी’ ओबीसी के अंतर्गत आता है और जरांगे भी सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र मांग रहे है।
उधर, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ओबीसी समाज की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है। वरिष्ठ बीजेपी नेता फडणवीस ने कहा है कि मराठों को बिना सबूत कुनबी प्रमाणपत्र नहीं दिया जाएगा। दरअसल महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शिंदे सरकार के इस फैसले पर असंतोष जताया है और कहा है कि यह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ अन्याय है।