उन्होंने कहा, मैं सौ टका कांग्रेसी हूं। पार्टी हम जैसे लोगों के सम्मान के लिए कुछ करे तो अच्छा लगे। हमें न तो चुनाव लडऩा है, न किसी पद, प्रतिष्ठा के लिए भागना। दो बार राहुल गांधी को पत्र लिखा कि आप 1960 से पहले जन्मे कांग्रेसियों को खोजिए। जो बुजुर्ग कोने में बैठा है, वह कांग्रेस की महानता के बारे में नहीं बताएगा तो युवा भ्रमित होते रहेंगे। लेकिन पत्र का न तो जवाब आया न बात आगे बढ़ी।
जाति नहीं लिखते, इससे समाज टूटता है उनसे पूछा कि आप पूरा नाम क्या लिखते हैं तो कहा, किशन, यही पूरा नाम है। इसके आगे नहीं। जाति बताना, लिखने में विभेद है। आंबेडकर जिस समानता की बात करते थे, उसके मूल में जातीय भेदभाव ही है। इसलिए 1960 से जाति नहीं लिखता।
इंदिरा की मौत की खबर अगले दिन मिली ब्रह्मपुरी घना जंगल था और कोई संचार का माध्यम नहीं था। इंदिरा गांधी की मौत की खबर 2 नवंबर को मिली। मेरी पत्नी भी दिव्यांग है। दोनों खूब फूट-फूटकर रोए, लगा जैसे परिवार का सदस्य छोड़कर चला गया हो।
आंबेडकर के रास्ते पर कोई पार्टी नहीं आंबेडकर का रास्ता असल में ये लोग जानते ही नहीं। सामाजिक मन-मुटाव उनका रास्ता नहीं था। वे वंचितों के समान अधिकार की बात करते थे। किसी को खत्म करने की नहीं। अब राजनीतिक दल राजनीति में वंचितों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं ।
सच को सच कहना कांग्रेस है कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व के सवाल पर वे उखड़ पड़े। उन्होंने कहा सच को सच कहना चाहिए। कांग्रेस का स्वभाव देश के पक्ष में खड़े रहना रहा है। सत्ता, चुनाव ये सब सिर्फ कांग्रेस नहीं। मोदी ने कुछ अच्छा किया होगा तभी तो वे चुने गए। हमें मानने में क्या हर्ज है।
फडणवीस शहरी नेता, गांव के फफोले वाले पांव नहीं जानते मौजूदा महाराष्ट्र सरकार विदर्भ को लेकर छल कर रही है। जिस जल प्रबंधन की बात थी, वह नहीं हुआ। चंद्रपुर जिले की सड़कें बेहद खराब हैं। एक नया अभयारण्य बना दिया, लेकिन वहां के 40 गांवों के करीब 5 हजार परिवारों के बारे में सोचा तक नहीं। राजुरा में सीमेंट फैक्ट्री बंद हो गई। उसके 3000 से अधिक कारिंदे बेरोजगार हो गए। इन पर कोई ध्यान नहीं।