मणिपुर में 4 मई को हुई घटना की निंदा करने के लिए एकलव्य आदिवासी संगठन (Eklavya Adivasi Sanghatana), कुछ अन्य आदिवासी संगठनों और वंचित बहुजन अगाड़ी (Vanchit Bahujan Aghadi) द्वारा नासिक के सताना शहर (Satana) में विरोध मार्च का आयोजन किया गया था। इसमें हजारों युवा शामिल हुए।
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पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शनिवार शाम को निकाले गए विरोध मार्च के दौरान हिंसा भड़क गई। जिसमें कम से कम दस पुलिसकर्मी घायल हो गए। नासिक के पुलिस अधीक्षक शाहजी उमाप (Shahaji) ने बताया कि कई लोगों को हिरासत में लिया गया है और इलाके में स्थिति अब नियंत्रण में है। जब मार्च तहसील कार्यालय के पास पहुंची तो कुछ प्रदर्शनकारियों ने सताना पुलिस स्टेशन के सामने धरना शुरू कर दिया और मांग की कि स्थानीय बीजेपी विधायक दिलीप बोरसे (Dilip Borse) उनका ज्ञापन स्वीकार करें।
पुलिस ने बताया कि धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई थी। प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने समझाने की कोशिश भी की। दरअसल विधायक उनका ज्ञापन स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि वह मुंबई में विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए गए है। हालांकि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधिकारियों की एक नहीं सुनी और इस दौरान तीखी बहस हो गई। तभी कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और वहां से गुजर रहे वाहनों पर पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा।
एसपी शाहजी के कहा, घटना में दस पुलिसकर्मी घायल हो गए। पथराव करने वाले 21 लोगों को हिरासत में लिया गया है। यह घटना विरोध मार्च के बाद हुई। तुरंत अतिरिक्त पुलिस बल को मौके पर बुलाया गया। स्थिति अब शांतिपूर्ण है।
हालांकि, घटना के बाद शहर में तनाव फैल गया और दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो गए। पुलिस ने 30 से अधिक उपद्रवियों को हिरासत में लिया है और आगे की जांच जारी है।