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Maharashtra: इस रहस्यमयी बंगले को मिला नया मालिक, इसमें जो भी मंत्री रहा उसका खत्म हो गया राजनीतिक करियर

हाल ही में महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का कैबिनेट विस्तार हुआ है। कैबिनेट विस्तार के बाद बारी आई मंत्रियों के बंगले की आवंटन की। हर बार सबसे ज्यादा चर्चा में सीएम के वर्षा बंगले की रहती है। लेकिन इस बार सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी रामटेक बंगले ने ले ली है। शिंदे गुट के मंत्री दीपक केसरकर को यह बंगला एलॉट हुआ है।

मुंबईAug 25, 2022 / 09:24 pm

Siddharth

Ramtek Bungalow

महाराष्ट्र में शिंदे सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद मंत्रीपद का बटवारा भी हाल ही में किया गया है। मंत्रीपद मिलने के बाद अब बारी आई मंत्रियों के बंगले की आवंटन की। हर बार सबसे ज्यादा चर्चा में सीएम के वर्षा बंगले की रहती है। लेकिन इस बार रामटेक बंगले ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी है। इसके पीछे एक बड़ी ही खास वजह है। मंत्रियों से उनका पसंदीदा बंगला पूछा गया था। शिंदे खेमे के मंत्री दीपक केसरकर को छोड़कर किसी भी मंत्री ने इस बंगले हामी नहीं भरी। इसके पीछे एक अंधविश्वास यह भी है कि इस बंगले में जो भी मंत्री जाता है, उसका राजनीतिक करियर खत्म हो जाता है।
मंत्रियों का मानना है कि इस बंगले में जो भी मंत्री गया है या तो उसकी कुर्सी चली जाती है या किसी घोटाले में उसका नाम आ जाता है। अब यह बंगला शिंदे खेमे के मंत्री दीपक केसरकर को अलॉट किया गया है। वहीं, इस मामले में दीपक केसरकर का कहना है कि इस बंगले को लेकर लोगों की कुछ भी धारणा हो लेकिन इस बंगले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार रहे हैं जो आज देश के बड़े नेता हैं। इसी बंगले में शंकरराव चव्हाण रहे जो आगे चलकर महाराष्ट्र के सीएम बने और वर्षा बंगले शिफ्ट हो गए।
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दीपक केसरकर ने आगे कहा कि मैं इस अंधविश्वास को नहीं मानता हूं। शिंदे सरकार में भी रामटेक बंगले को लेने के लिए किसी भी मंत्री ने इच्छा जाहिर नहीं की थी। आज मैंने भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की है मैं 28 तारीख को इस बंगले में रहने आ जाऊंगा।
इन मंत्रियों को अलॉट किया गया है ये बंगला: बता दें कि बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे के पास यह बंगला हुआ करता था, लेकिन 1999 में नाम विवादों में आने के बाद गोपीनाथ मुंडे को इस्तीफ़ा देना पड़ा था। इसके बाद साल 1999 में कांग्रेस और एनसीपी की सरकार में नेता छगन भुजबल को यह बंगला एलॉट दिया गया था, जिनका तेलगी घोटाले में नाम आने के बाद जेल जाना पड़ा।
वहीं, साल 2014 में जब राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थीं, तब एकनाथ खडसे को मंत्री बनाया गया और रामटेक बंगला खड़से अलॉट किया गया था। लेकिन बाद में खड़से पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद साल 2019 में जब कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की सरकार बनी तो एक बार फिर से छगन भुजबल को रामटेक बंगला दिया गया। इसी बीच ढाई साल में ही महा विकास आघाडी सरकार गिर गई और छगन भुजबल के हाथों से मंत्री पद के साथ-साथ बंगला भी चला गया।

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