महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) ने एक बयान में कहा कि राज्य के रेजिडेंट डॉक्टरों की कई समस्याएं काफी समय से लंबित हैं। पिछले एक साल में संगठन ने इसके लिए सरकार से बार-बार अपील की है। लेकिन प्रशासन की ओर से हर बार हमें सिर्फ आश्वासन दिया गया।
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एसोसिएशन का आरोप है कि असल में हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सेंट्रल एमएआरडी (मार्ड) संगठन ने विभिन्न लंबित मांगों को लेकर 7 फरवरी को शाम 5 बजे से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। हड़ताल के दौरान सभी आवश्यक सेवाएं जारी रहेंगी। जबकि ओपीडी और आईपीडी सेवाएं ठप रहेंगी। मार्ड एसोसिएशन ने रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण मरीजों को होने वाली परेशानी के लिए माफी मांगी है। बयान में कहा गया है, “रेजिडेंट डॉक्टरों को कभी भी उनके उचित स्टाइपेंड का भुगतान समय पर नहीं किया गया है। कई महीनों से स्टाइपेंड बकाया होने के कारण रेजिडेंट डॉक्टरों के मूल अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।”
एसोसिएशन का कहना है कि रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए पर्याप्त संख्या में हॉस्टल उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में एक ही कमरे में दो-तीन डॉक्टरों को बेहद परेशानी में रहना पड़ता है। हमने बार-बार प्रशासन के समक्ष अपनी मांगें रखीं। और हर बार केवल मौखिक आश्वासन ही दिया गया। बयान में कहा गया, प्रशासन के इस रवैये के कारण हमें हड़ताल पर जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है।