अधिकारियों ने बताया कि मोरबे बांध से छह किलोमीटर दूर इरशालवाडी गांव में करीब 50 मकान हैं, जिनमें से 17 मकान भारी बारिश के चलते हुए लैंडस्लाइड की चपेट में आ गए। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं।राज्य के मंत्री उदय सामंत ने कहा कि भूस्खलन में बचाए गए लोगों को नवी मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह भी पढ़े-
इरशालगढ़ किले की मिट्टी बुधवार की रात करीब 11 बजे खिसक गई और तलहटी में स्थित इरशालवाडी गांव पर गिर गई। इस गांव की आबादी लगभग सवा दो सौ बताई जा रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे घटनास्थल पर मौजूद है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपए दिए जाएंगे और घायलों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। खराब मौसम के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं। यह एक आदिवासी गांव है, जो माथेरान और पनवेल के बीच स्थित इरशालगढ़ किले के करीब है।
सीएम शिंदे ने कहा, “घटनास्थल पर 45-47 घर हैं जिसमें से 15-17 घर मलबे के नीचे दब गए हैं। हमारी प्राथमिकता मलबे के नीचे फंसे लोगों को बचाना है। यह गांव भूस्खलन संभावित गांवों की सूची में नहीं था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस परिस्थिति के बारे में फोन पर जानकारी ली है। जो भी सहायता की जरूरत है वो केंद्र की तरफ से आवश्य मिलेगा। बचाव कार्य जारी हैं।“
पुलिस ने बताया कि बचावकर्मियों में से एक की भी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। एक अधिकारी ने बताया कि नवी मुंबई के बेलापुर दमकल केंद्र में सहायक स्टेशन अधिकारी शिवराम धुम्ने (52) बुधवार आधी रात को भूस्खलन स्थल पर जा रहे थे तभी रास्ते में हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई।