एक इंटरव्यू में राज ठाकरे ने कहा कि जब डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मुझसे मिलने आए थे तब मैंने उनसे कहा था कि आप इसका श्रेय ना लें। इस बात देवेंद्र फडणवीस पर जोर-जोर से हंसने लगे थे। जो शिवसेना में फुट पड़ी वो ना देवेंद्र फडणवीस की वजह से हुआ, ना अमित शाह की वजह से हुआ, ना बीजेपी में किसी और की वजह से हुआ और ना ही शरद पवार की वजह से हुआ। इसकी वजह खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे हैं। उद्धव ठाकरे की वजह से इस तरह की बगावत एक बार नहीं हुई है। आज एकनाथ शिंदे खेमे के विधायक और सांसद बाहर आ गए हैं। तब मैं बाहर आया था। उस वक्त भी वजह वही थे। इन दोनों घटनाओं के बीच में भी कुछ लोग शिवसेना छोड़ कर चले गए। तब भी वजह कोई और नहीं, खुद उद्धव ठाकरे ही थे।
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एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि संजय राउत रोज सुबह टीवी पर आते हैं। वो कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं। संजय राउत से लोग अब पक चुके हैं। उनकी इतनी ही हैसियत है। इससे विधायक टूट कर अलग गुट नहीं बना लेते हैं। अगर आज बालासाहेब ठाकरे होते तो यह बगावत होती ही नहीं। जो लोग शिवसेना छोड़ कर गए ये लोग कट्टर शिवसैनिक हैं। ये लोग शिवसेना से ही नहीं, बल्कि बालासाहेब के विचारों से भी बंधे थे। शिवसेना को सिर्फ एक पार्टी की हैसियत से ना समझा जाए। जब तक बालासाहेब थे, तब तक शिवसेना में उनका विचार कायम था। इसलिए बालासाहेब के रहते इतनी बड़ी बगावत की नौबत कभी नहीं आती। बता दें कि हाल ही में शिंदे खेमे ने चुनाव आयोग को बताया है कि 55 में से 40 विधायक, विभिन्न एमएलसी और 18 में से 12 सांसद उनके साथ हैं। साथ ही आयोग को पत्र लिखकर पार्टी का ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न उसे देने का अनुरोध किया। इसमें शिंदे गुट ने लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में उसे मिली मान्यता का हवाला दिया है।
दूसरी तरफ, शिवसेना गुट ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपील की है कि वह पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावे से जुड़े किसी भी आवेदन पर फैसला लेने से पहले उसका पक्ष सुने। साथ ही शिंदे गुट द्वारा ‘शिवसेना’ या ‘बाला साहब’ नामों का उपयोग करके किसी भी राजनीतिक दल की स्थापना पर भी आपत्ति जताई है।