इस संबंध में समता पार्टी के अध्यक्ष ब्रह्मानंद मंडल का पत्र लिखकर नेता कैलाश झा अपनी आपत्ति दर्ज करवाने के लिए आज 12 बजे इलेक्शन कमीशन के ऑफिस पहुंचे। शिवसेना में बगावत होने के बाद पार्टी दो गुटों में बंट गई। एक गुट का नेतृत्व उद्धव ठाकरे कर रहे हैं, तो दूसरे खेमे का नेतृत्व एकनाथ शिंदे के हाथों में हैं। दोनों गुटों का दावा है कि उनका गुट ही असली शिवसेना है। लेकिन जब यह मामला इलेक्शन कमीशन के पास पहुंचा तो इलेक्शन कमीशन ने तत्काल के लिए पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ को फ्रीज कर दिया।
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बता दें कि नाम और चुनाव चिन्ह फ्रीज करने के बाद इलेक्शन कमीशन ने दोनों गुटों को नया नाम और चुनाव चिन्ह सौंपा। उद्धव ठाकरे खेमे का नाम ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ और एकनाथ शिंदे गुट का नाम ‘बालासाहेब की शिवसेना’ रखा गया है। वहीं, उद्धव ठाकरे खेमे का नया चुनाव चिन्ह ‘मशाल’ और एकनाथ शिंदे गुट का चुनाव चिन्ह ‘ढाल-तलवार’ दिया गया हैं। तीन नवंबर को अंधेरी पूर्व विधानसभा का उपचुनाव होने वाला हैं। इस उपचुनाव में समता पार्टी भी लड़ने का मन बना रही है। ऐसे में जॉर्ज फर्नांडिस की समता पार्टी और उद्धव ठाकरे का चुनाव चिन्ह ‘मशाल’ होने से वोटर्स में भ्रम पैदा हो सकता है। इसी वजह से समता पार्टी ने इलेक्शन कमीशन के सामने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है। अब देखना यह है कि इस बारे में इलेक्शन कमीशन क्या निर्णय लेता है।
बता दें कि सन 1996 से ही समता पार्टी का चुनाव चिन्ह मशाल रहा है। बुधवार को समता पार्टी द्वारा आपत्ति दर्ज किए जाने के बाद इलेक्शन कमीशन द्वारा आज ही इस बारे में एक अहम बैठक किए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। साल 2004 में समता पार्टी का मशाल चिन्ह इलेक्शन कमीशन ने पंजीकृत किया है। यह दावा समता पार्टी की महाराष्ट्र यूनिट ने किया है। समता पार्टी के दावे के मुताबिक, साल 1994 से ही पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर काम कर रही है। लोगों के मन में इस पार्टी की अपनी प्रतिष्ठा है। नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस ने मिलकर लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एक नई पार्टी का गठन किया था, जिसका नाम समता पार्टी रखा गया था और चुनाव चिन्ह ‘मशाल’ रखा गया।