बता दें कि शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच विवाद को लेकर इलेक्शन कमीशन ने सोमवार को उद्धव ठाकरे गुट के लिए पार्टी के नाम के रूप में ‘शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम आवंटित किया। जबकि एकनाथ शिंदे खेमे को ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) नाम आवंटित किया है।
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इलेक्शन कमीशन ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को ‘मशाल’ चुनाव चिह्न आवंटित किया है। चुनाव आयोग ने धार्मिक अर्थों का हवाला देते हुए चुनाव चिह्न के रूप में ‘त्रिशूल’ की मांग करने के उद्धव खेमे के दावे को रिजेक्ट कर दिया। पुणे में इसी मशाल जुलूस के दौरान उद्धव गुट के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर हाथापाई हुई। वहीं, दूसरी तरफ मंगलवार को महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के धड़े को चुनाव चिह्न के रूप में ‘दो तलवार और एक ढाल’ का निशान आवंटित किया गया। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को अब ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ नाम दिया गया है। शिंदे खेमा अगर अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट के लिए तीन नवंबर को होने वाले उपचुनाव में मैदान में उतरने का निर्णय लेता है, तो वह ‘दो तलवार और एक ढाल’ चुनाव चिह्न का इस्तेमाल कर सकेगा।
बता दें कि शनिवार को उद्धव ठाकरे और राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले दोनों खेमों के बीच तनातनी के बीच इलेक्शन कमीशन ने शिवसेना के धनुष-बाण के चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर दिया था। दोनों गुटों को इलेक्शन कमीशन ने उपलब्ध प्रतीकों में से चुनने और सोमवार दोपहर 1 बजे तक अपने अंतरिम मार्करों के लिए तीन ऑप्शन जमा करने का आदेश दिया था।