पर्याप्त डॉक्यूमेंटशन के आधार पर इंस्टीट्यूट एक रिव्यू रिक्वेस्ट कर सकता है। जहां महाराष्ट्र के ज्यादातर प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने सालाना फीस में बढ़ोतरी की है। दरअसल, एफआरए ने फीस को बढ़ाने और घटना की अनुमति कॉलेज को दी थी। ऐसा हर संस्थान द्वारा होने वाले खर्चों को ध्यान में रखकर किया गया। आने वाले शैक्षणिक सत्र में छात्रों का सहयोग करने के लिए अधिकारियों ने अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज की फीस को अवधारित किया है।
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इन मेडिकल कॉलेजों ने भी नहीं बढ़ाई फीस: बता दें कि इस विषय पर फैसला लेने के लिए पिछले हफ्ते बैठक भी की गई थी। महाराष्ट्र के लगभग सभी प्राइवेट कॉलेज की फीस में बढ़ोतरी दर्ज की गई हैं। 50 हजार से लेकर 1.5 लाख रुपये तक फीस में वृद्धि हुई है। हालांकि, राज्य में छह कॉलेज ऐसे थे, जिन्होंने अपनी ट्यूशन फीस में कोई भी बढ़ोतरी नहीं की हैं। इसमें तालेगांव का एमआईएमइआर, लातूर का एमआईएमएसआर, सोलापुर का अश्विनी मेडिकल कॉलेज, नासिक एसएमबीटी कॉलेज, चिपलून का वालावलकर कॉलेज और जालना में जेआईआईयू का आईएमएसआर शामिल हैं। ये कॉलेज पिछले साल वाली फीस ही छात्रों से चार्ज कर रहे हैं। बता दें कि एफआरए के अध्यक्ष और रिटायर्ड हाईकोर्ट जस्टिस विजय लखीचंद अचलिया ने बताया कि एनआरआई स्टूडेंट्स से कॉलेजों द्वारा एकत्रित की गई फीस के आधार पर बढ़ोतरी को मामूली माना गया था। पर्याप्त सबूतों के आधार पर कॉलेज दोबारा विचार करने की अपील कर सकते हैं। इस साल फरवरी में नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमके) ने आदेश जारी किए थे कि निजी और डीम्ड मेडिकल इंस्टीट्यूट को अपनी सीटों का 50% सरकारी मेडिकल कॉलेजों के समान फीस पर देना होगा। इसे शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में लागू किया जाएगा।