साल 2021 में सिंजेंटा कंपनी के खिलाफ स्विट्जरलैंड की एक कोर्ट में याचिका दर्ज की गई थी जिसमें किसानों के खेत में कीटनाशक के छिड़काव के दौरान जहर की वजह से किसानों की मौत का मुद्दा उठाया गया था। इन किसानों ने स्विट्जरलैंड के बासेल के सिविल कोर्ट में केस दर्ज किया था।
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बता दें कि इन किसानों का आरोप है कि साल 2017 में कपास के खेतों में कीटनाशक का छिड़काव करते समय महाराष्ट्र के यवतमाल के सैकड़ों किसान पॉइजनिंग का शिकार हो गए थे। इसमें से 23 किसानों को अपनी जान गवानी पड़ी। एक किसान और दो मृतकों की पत्नी ने मल्टीनैशनल कंपनी को पॉइजनिंग की वजह मौत और विकलांगता के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा दर्ज किया गया था। इन पीड़ित किसानों की मदद पेस्टिसाइड ऐक्शन नेटवर्क नाम के एनजीओ ने की थी। इस एनजीओ ने स्विस कंपनी सिंजेंटा के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। एनजीओ के नरसिम्हा रेड्डीने बताया कि कानूनी मदद मिलने का मतलब है कि केस के वादियों को स्विस सरकार स्कीम के द्वारा आर्थिक मदद दी जाएगी। कानूनी मदद पर फैसला एक महीने पहले आया था।
एनजीओ ने दावा किया था कि दोनों किसानों की मौत और जीवित बचे किसान को स्वास्थ्य दिक्कतों के पीछे सिंजेंटा कंपनी का पोलो पेस्टिसाइड ही जिम्मेदार है। जब इस कंपनी ने आरोपों से मना किया तो एनजीओ ने पुलिस रिकॉर्ड में सिंजेंटा कीटनाशक से जुड़े पॉइजनिंग के 96 मामलों के दस्तावेज दिखाए। जून 2021 में याचिकाकर्ताओं ने बासेल के एक सिविल कोर्ट में केस दर्ज किया था। एनजीओ ने एक नोट शेयर किया जिसमें कहा गया कि स्विट्जरलैंड में अनिवार्य मध्यस्थता प्रक्रिया विफल होने के बाद केस दर्ज हो सकता था।