महिला के पिता ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि जब महिला को प्रसव पीड़ा हो रही तो वह एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाई ऐसे में उसे एक ऑटो रिक्शा में पीएचसी लेकर आए थे। इसके बाद उनकी बेटी ने पीएचसी के बाहर बरामदे में बच्चे को जन्म दिया और कुछ देर बाद बच्चे की मौत हो गई।
महिला के पिता ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब वे पीएचसी पहुंचे तो वहां न कोई डॉक्टर था और न ही कोई अन्य चिकित्सा कर्मी मौजूद था। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने पीएचसी के बाहर बरामदे में ही बच्चे को जन्म दे दिया और थोड़ी देर बाद ही नवजात की मौत हो गयी। इस पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी प्रह्लाद चव्हाण ने कहा कि पीएचसी में एक चिकित्सा अधिकारी और नर्स उपलब्ध थीं लेकिन महिला को लाने में देरी हो गई। वह शनिवार को पीएचसी का दौरा करेंगे और मामले की जांच करेंगे।
बता दें कि यह कोई नई घटना नहीं है पिछले साल महाराष्ट्र से पैदल चलकर आ रही मध्य प्रदेश की एक महिला ने रास्ते में बच्चे को जन्म दिया था। लॉकडाउन की वजह से महाराष्ट्र के नासिक से सतना अपने गांव वापस जा रही एक गर्भवती महिला ने रास्ते में एक बच्चे को जन्म दिया। महिला के पति ने बताया कि जन्म देने के बाद हम लोगों ने 2 घंटा आराम किया। इसके बाद हम कम से कम 150 किलोमीटर तक पैदल चले थे।
बता दें कि यह कोई नई घटना नहीं है पिछले साल महाराष्ट्र से पैदल चलकर आ रही मध्य प्रदेश की एक महिला ने रास्ते में बच्चे को जन्म दिया था। लॉकडाउन की वजह से महाराष्ट्र के नासिक से सतना अपने गांव वापस जा रही एक गर्भवती महिला ने रास्ते में एक बच्चे को जन्म दिया। महिला के पति ने बताया कि जन्म देने के बाद हम लोगों ने 2 घंटा आराम किया।
इसके बाद हम कम से कम 150 किलोमीटर तक पैदल चले थे। नासिक से महिला अपने परिवार के साथ अपने गांव उचेहरा के लिए निकल पड़ी। इस दौरान रास्ते में महिला का प्रसव हो गया। लेकिन महिला और उसके परिवार को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली। गांव की ही कुछ महिलाएं रास्ते में कदम-कदम पर महिला का हौसला बढ़ाती रहीं और प्रसव के दो घंटे बाद महिला दोबारा चल पड़ी।