देर रात हुई इस पूरी बैठक में क्या चर्चा हुई और उसका क्या निष्कर्ष निकला। इस मामले में अभी कुछ भी आधिकारिक रूप से सामने नहीं आया है। वहीं अंधेरी विभाग की एक अन्य बैठक विलेपार्ले में हुई। जिसमें प्रमोद सावंत, अनिल परब,कमलेश राय सहित कुछ अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे। इस बैठक के बाद फिर से चर्चाओं का माहौल बन गया है। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे की ओर से ऋतुजा लटके को यह समझाने की कोशिश किया गया है कि अगर कोर्ट का आदेश अपने पक्ष में नहीं आता हैं। तब अन्य किसी शख्स को आपकी जगह उम्मीदवार बनाया जाएगा।
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बता दें कि बीजेपी के नेताओं ने उद्धव ठाकरे पर पहले ही यह आरोप लगाया है कि वो ऋतुजा लटके को अपना उम्मीदवार नहीं बनाना चाहती है। ऐसे में शिंदे खेमे की ओर से भी ऋतुजा लटके को अपने गुट में शामिल करने की कोशिश की जा रही हैं। दोनों ही खेमा इस बात को अच्छे से जानते हैं कि रमेश लटके के निधन के बाद खाली हुई यह सीट जीत का एक आसान रास्ता बन सकती है। क्योंकि यहां रमेश लटके के समर्थकों की सहानुभूति ऋतुजा लटके को मिल सकती है। बीएमसी ने नहीं मंजूर किया ऋतुजा का इस्तीफा: वहीं, दूसरी तरफ शिवसेना में बगावत के बाद दोनों खेमों के बीच पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह का मामला तात्कालिक रूप से सुलझते ही अब उनके बीच विधानसभा की अंधेरी पूर्व सीट पर होने जा रहे उपचुनाव की उम्मीदवारी का घमासान जारी हो गया है। शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी के नेताओं ने शिंदे की पार्टी बालासाहेबांची शिवसेना पर अपने उम्मीदवार पर दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगाया है।
12 अक्टूबर को ठाकरे गुट के नेता विनायक राउत और अनिल परब ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि शिंदे गुट उनकी उम्मीदवार ऋतुजा लटके पर उनके चुनाव चिह्न पर उपचुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है। ऋतुजा लटके को मंत्री पद का लालच भी दिया जा रहा है। अनिल परब ने दावा किया कि जानबूझकर बीएमसी ऋतुजा लटके का इस्तीफा मंजूर नहीं कर रहा है, ताकि शिंदे गुट से ऋतुजा लटके पर इलेक्शन लड़ने का दबाव बनाया जा सके। हालांकि उनके इस्तीफे की पूरी फाइल बीएमसी के पास है।