जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। क्योंकि अगर नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन होता है तो वे कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में ऐसी कोई भी जिक्र नहीं की गई है।
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मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार ने साल 1960 में एक आदेश जारी किया था, जिसमें साफ तौर से कहा गया था कि ‘बॉम्बे हाई कोर्ट’ अब से ‘महाराष्ट्र हाई कोर्ट’ के रूप में जाना जाएगा। लेकिन इस आदेश को लागू नहीं किया गया और बॉम्बे हाईकोर्ट का नाम वही रहा। इसके बाद साल 1995 में बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गया, इसलिए बॉम्बे नाम का शहर अब मौजूद नहीं है, लेकिन हाईकोर्ट ‘बॉम्बे’ के नाम पर ही है। वहीं, साल 2016 में बॉम्बे हाई कोर्ट का नाम बदलकर ‘महाराष्ट्र हाई कोर्ट’ करने के लिए एक बिल संसद में पेश किया गया था. वह बिल पास नहीं हो सका। बता दें कि इसलिए याचिका में मांग की गई है कि बॉम्बे हाई कोर्ट का नाम बदलकर महाराष्ट्र हाई कोर्ट कर दिया जाए। इस बीच भले ही ‘बॉम्बे’ का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गया हो, फिर भी कोर्ट को बॉम्बे हाई कोर्ट के नाम से ही जाता है। क्या इस संबंध में कोई नया आंदोलन हुआ है? यह देखना दिलचस्प होने जा रहा है।