पिछले दो महीने से मां से मुलाकात ना होने की कसक इस चिठ्ठी में साफ नजर आई हैं। संजय राउत ने लिखा है कि कई साल हुए खत लिखने का मौका नहीं मिला। सामना के लिए रोजाना संपादकीय लिखता था। स्तंभ लिखता था। दौरे पर ना होता था तो हमारी तुम्हारी रोज मुलाकातें होती थीं। दौरे पर होता था तो सुबह-शाम फोन पर बातें हो जाया करती थीं।
यह भी पढ़ें
Mumbai News: दिवाली के लिए बेस्ट ने किया बड़ा एलान, मुंबई में महज 9 रुपये में पांच बस की सवारी
उन्होंने आगे लिखा कि इसलिए चिठ्ठी लिखने का मौका कभी नहीं मिला। अब यह चिठ्ठी लिखने का मौका केंद्र सरकार ने दिया है। अभी-अभी मेरी ईडी कस्टडी खत्म हुई। ज्यूडिशियल कस्टडी में जाने से पहले तुम्हें कोर्ट के बाहर से ये चिठ्ठी लिख रहा हूं। तुम्हें चिठ्ठी लिखने का अवसर कई सालों बाद आया है। संजय राउत ने आगे लिखा कि 1 अगस्त को ईडी के अधिकारी जब घर में घुसे तब तुम मा. बालासाहेब ठाकरे के फोटो के नीचे बैठी थी। ऐसी नौबत अपने साथ आ सकती है, यह एहसास रखते हुए तुमने अपने मन को मजबूत किया हुआ था। लेकिन शाम को जब मुझे लेके जा रहे थे तब तुमने मुझे गले से लगाया और फुटकर रोने लगी। घर के बाहर असंख्य शिवसैनिक नारे लगा रहे थे। ठीक उस समय तुम्हारी आर्तनाद मेरे कलेजे में बिंध गई। ‘जल्दी वापस आना’ तुमने कहा। इसके बाद खिड़की से मुझे हाथ दिखाया, ठीक वैसे ही जैसे रोज ‘सामना’ या दौरे पर जाते समय करती हो। ऐसे मुश्किल भरे समय में तुमने अपने बहते हुए आंसुओं को रोका।
संजय राउत ने आगे लिखा कि बालासाहेब और शिवसेना से कभी गद्दारी नहीं करना, यह तुमने मुझे सिखाया हैं। अब उन मूल्यों के लिए लड़ने का समय आ गया है। अगर संजय राउत यहां कमजोर पड़ गया तो तुम्हारा बेटा किसी को क्या मुंह दिखाएगा। सबको मालूम है। मुझपर झूठे आरोप लगाए गए हैं। परोक्ष रूप से शिवसेना का साथ छोड़ने के लिए मुझपर दबाव बनाया जा रहा। उद्धव ठाकरे हमारे प्रमुख हैं। अगर ऐसे मुश्किल समय में मैं उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दूं तो कल ऊपर जाकर बालासाहेब को कौनसा मुंह दिखाऊंगा।