मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर सुबह 8 बजे से ओपीडी और आईपीडी और वार्डों में काम नहीं कर रहे है। जिस वजह से आउट पेशेंट विभागों यानी ओपीडी मरीजों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। वरिष्ठ डॉक्टर अकेले ही स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन कर रहे है। खबर है कि राज्यभर में हजारों गैरजरूरी सर्जरियों को रोकना पड़ा है।
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महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) ने एक बयान में कहा कि हॉस्टल सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सरकार से उनकी कई दलीलों को अनसुना करने के बाद उन्हें हड़ताल का आह्वान करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। रेजिडेंट डॉक्टर्स सोमवार से सिर्फ इमरजेंसी और आईसीयू में ही काम करेंगे। हालांकि रेजिडेंट डॉक्टर्स अस्पतालों में मौजूद है, लेकिन वार्डों, ओपीडी, आईपीडी में काम नहीं कर रहे है। इस हड़ताल ने पहले ही दिन कई बड़े सरकारी अस्पतालों में ओपीडी, आईपीडी की सेवाओं को पंगु बना दिया है। रेजिडेंट डॉक्टरों ने आम नागरिकों की असुविधा के लिए पहले ही ‘खेद व्यक्त’ कर दिया था।
वहीँ, बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के अस्पतालों से हजारों रेजिडेंट डॉक्टर जुड़े हुए हैं, जिस वजह से मुंबई के बीएमसी अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई है।
यह हैं प्रमुख मांगे
रेजिडेंट डॉक्टर 1 जुलाई 2018 से महंगाई भत्ते के बकाया के भुगतान के साथ-साथ बीएमसी अस्पतालों में महंगाई भत्ते पर एक सरकारी प्रस्ताव को लागू करने की मांग की है। साथ ही रेजिडेंट डॉक्टरों ने राज्यभर में 1,432 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती के साथ-साथ रेजिडेंट डॉक्टरों के वेतन में समानता की भी मांग की है। शिक्षण कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए सहयोगी और सहायक प्रोफेसरों की रिक्तियों को भी भरने की मांग की गई है। रेजिडेंट डॉक्टरों का आरोप है कि सरकार उन्हें केवल आश्वासन देती है, जबकि मांगों को पूरा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है।
यह हैं प्रमुख मांगे
रेजिडेंट डॉक्टर 1 जुलाई 2018 से महंगाई भत्ते के बकाया के भुगतान के साथ-साथ बीएमसी अस्पतालों में महंगाई भत्ते पर एक सरकारी प्रस्ताव को लागू करने की मांग की है। साथ ही रेजिडेंट डॉक्टरों ने राज्यभर में 1,432 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती के साथ-साथ रेजिडेंट डॉक्टरों के वेतन में समानता की भी मांग की है। शिक्षण कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए सहयोगी और सहायक प्रोफेसरों की रिक्तियों को भी भरने की मांग की गई है। रेजिडेंट डॉक्टरों का आरोप है कि सरकार उन्हें केवल आश्वासन देती है, जबकि मांगों को पूरा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है।