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पिछले साल की तुलना में इस वर्ष हापुस आम की आवक लगभग 30 फीसदी हो रही है। जिस तरह से यहां की मान्यता है कि अक्षय तृतीया के मौके पर सोना खरीदने के लिए प्राधान्य दिया जाता है, उसी तरह से हापुस आम को भी विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन भगवान के सामने हापुस आम को नैवेद्य के रूप में चढ़ाया जाता है और बाद में उस आम को प्रसाद स्वरूप चखा जाता है।
मंडी में हापुस को पकाने पर लगाई गई पाबंदी
एक हापुस व्यापारी ने बताया कि मार्केट प्रशासन ने व्यापारियों को मार्केट परिसर में आम को नही ंपकाने की हिदायत दी है, मांग के हिसाब से व्यापारी कच्चे आम को तैयार करके बेंचते आए हैं।
40 फीसदी हापुस आम विदेशों में हो रहा निर्यात
फलमंडी के संचालक संजय पानसरे ने बताया कि जो भी हापुस आम की आवक हो रही है उसमें से लगभग 40 फीसदी हापुस को शिप के माध्यम से खाड़ी देशों में निर्यात किया जा रहा है। जैसा कि सोमवार को 50 हजार पेटी हापुस की आवक हुई थी तो उसमें से 20 हजार पेटी खाड़ी देशों कुवैत, ओमन, सऊदी अरबिया, यूएई, कतर जैसे देश में शिप के जरिए निर्यात किया जा रहा है।
फलमंडी के संचालक संजय पानसरे ने बताया कि जो भी हापुस आम की आवक हो रही है उसमें से लगभग 40 फीसदी हापुस को शिप के माध्यम से खाड़ी देशों में निर्यात किया जा रहा है। जैसा कि सोमवार को 50 हजार पेटी हापुस की आवक हुई थी तो उसमें से 20 हजार पेटी खाड़ी देशों कुवैत, ओमन, सऊदी अरबिया, यूएई, कतर जैसे देश में शिप के जरिए निर्यात किया जा रहा है।
सामान्य लोगों की पहुंच से हापुस अभी भी दूर
फलमंडी शुरू करने से पहले भीड़ को कम करने के उद्देश्य से एपीएमसी प्रशासन ने कुछ नियम व शर्त लागू किया था, मार्केट परिसर में फुटकर विक्रेताओं के प्रवेश पर पाबंदी, कम से कम 15 हजार रुपए की खरीदारी करने वाले व्यापारी को प्रवेश देने की अनुमति दी गई थी, हालांकि अब 10 हजार की खरीदारी अनिवार्य किया गया है। फुटकर विक्रेता 350 से 500 रुपए किलो की दर से हापुस बेंच रहे हैं।
फलमंडी शुरू करने से पहले भीड़ को कम करने के उद्देश्य से एपीएमसी प्रशासन ने कुछ नियम व शर्त लागू किया था, मार्केट परिसर में फुटकर विक्रेताओं के प्रवेश पर पाबंदी, कम से कम 15 हजार रुपए की खरीदारी करने वाले व्यापारी को प्रवेश देने की अनुमति दी गई थी, हालांकि अब 10 हजार की खरीदारी अनिवार्य किया गया है। फुटकर विक्रेता 350 से 500 रुपए किलो की दर से हापुस बेंच रहे हैं।