महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा “केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के साथ बैठक में तय हुआ कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में यह मामला है महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर कोई भी पक्ष नया दावा नहीं करेगा। कर्नाटक में मंत्रियों, विधायकों और कांग्रेस अध्यक्षों द्वारा किए गए दावे गृहमंत्री के साथ बैठक के अनुसार नहीं हैं।“
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महाराष्ट्र उपमुख्यमंत्री ने कहा, “मुंबई पर दावा करने की उनकी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के विपरीत दावा करने से दोनों राज्यों के बीच संबंध खराब होंगे। हम गृहमंत्री से कर्नाटक के उन नेताओं को चेतावनी देने की अपील करेंगे जो ऐसी टिप्पणी कर रहे हैं।“ महाराष्ट्र विधानसभा में फडणवीस ने कहा, “…मुंबई को लेकर दिया हुआ बयान पूरी तरह से गलत है। यह सहन नहीं किया जायेगा। मैं इसकी निंदा करता हूं। मुंबई महाराष्ट्र की है, किसी के बाप की नहीं है। मुंबई पर किसी का दावा करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस संबंध में सदन की भावनाओं से कर्नाटक सरकार और केंद्रीय गृहमंत्री को अवगत कराया जाएगा और उन्हें विरोध पत्र भेजा जाएगा।“
इस बयान पर मचा बवाल
कर्नाटक के मंत्री डॉ. सीएन अश्वथ नारायण ने दावा किया कि मुंबई में 20 प्रतिशत कन्नड़ भाषी रहते हैं, इसलिए मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाये। उन्होंने कहा कि अगर बेलगाम (Belgaum) को केंद्र शासित करना चाहते हैं, तो हम मुंबई को भी केंद्र शासित करने की मांग करते हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर मामला ज्यादा समय तक नहीं टिकेगा। संसद के पास इस मुद्दे को हल करने का अधिकार है। हम शांतिपूर्ण हैं हम महाराष्ट्र के कन्नड़ लोगों को कभी गुमराह नहीं करते हैं। नारायण ने यह भी कहा कि सीमा का मुद्दा खत्म हो गया है और इस पर अब चर्चा नहीं होनी चाहिए।
दरअसल, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हाल ही में केंद्र सरकार से “विवादित क्षेत्रों” को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का अनुरोध किया था। हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। फिर भी इस पर आग बबूला हुए कर्नाटक के मंत्री अश्वथ नारायण ने मांग की है कि मुंबई को केंद्र शासित बनाया जाए। उन्होंने कहा, बेलगाम को केंद्र शासित बनाने से पहले आपको मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करना होगा।
नारायण ने महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी (MVA) पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर वे यह सवाल पूछें कि मुंबई में कितने मराठी लोग रहते हैं तो यह उनके लिए मुसीबत बन सकता है। उद्धव ठाकरे को इस तरह के बयान देने से पहले सोचना चाहिए था। उद्धव ठाकरे और अन्य नेता राजनीतिक उद्देश्यों के लिए सीमा का मुद्दा उठा रहे हैं।“