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मुंबई

Vegetarian Village: महाराष्ट्र का यह गांव 800 सौ साल से है शाकाहारी, जानें इसके पीछे की मान्यता

Maharashtra Vegetarian Kanashi Village: जलगांव जिले के भडगांव तालुका से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव के लोग महानुभाव पंथ के अनुयायी है. अगर देखा जाएं तो देशभर में कनाशी नाम के कई गांव होंगे, लेकिन इस कनाशी ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। कहा जाता है कि यहां आने वाला शख्स खाली हाथ नहीं जाता है।

मुंबईAug 01, 2022 / 11:24 am

Dinesh Dubey

Kanashi village in Jalgaon has been vegetarian for decades

जलगांव का एक गांव दशकों से है शाकाहारी

Vegetarian Village In Maharashtra: महाराष्ट्र का एक गांव जो दशकों से शाकाहारी होने की परंपरा निभा रहा है। बदलते समय में कई लोग मांस और नशे के आदी हो चुके हैं, लेकिन जलगांव (Jalgaon) जिले के भडगांव के कानाशी (Kanashi Village) ने इन सब से दूर रहकर एक पूर्ण शाकाहारी गांव के रूप में अपनी पहचान बनाई है। पिछले आठ सौ वर्षों से इस गांव ने शाकाहारी होने की अटूट परंपरा को बरकरार रखा है।
जलगांव जिले के कानाशी गांव की आबादी तीन हजार है। पूर्वजों की धार्मिकता और शिक्षा के कारण इस गांव में सैकड़ों वर्षों से मांस खाने पर पाबंदी है। भले ही अलग-अलग विचारों और अलग-अलग रुचियों वाले लोग एक गाँव में रहते हों, लेकिन वे शाकाहार पर हमेशा सहमत रहे हैं।
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जलगांव जिले के भडगांव तालुका से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव के लोग महानुभाव पंथ (Mahanubhav Panth) के अनुयायी है. अगर देखा जाएं तो देशभर में कनाशी नाम के कई गांव होंगे, लेकिन इस कनाशी ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। कहा जाता है कि यहां आने वाला शख्स खाली हाथ नहीं जाता है।
यहां आने वाला हर शख्स ग्रामीणों के आतिथ्य का मुरीद बन जाता है. वें यहां की सभ्यता से प्रभावित होकर गर्व और खुशी से शाकाहारी और गैर-नशेड़ी रहने की शपथ लेते हैं। यहां एक किंवदंती आज भी बताई जाती है कि 12वीं शताब्दी के दार्शनिक, समाज सुधारक और महानुभाव पंथ के संस्थापक चक्रधर स्वामी (Chakradhar Swami) ने कनाशी का दौरा किया था।
महानुभाव पंथ हिंदुओं का एक सम्प्रदाय है जिसकी नींव सन 1267 में चक्रधर स्वामी ने रखी थी। वे एक बड़े समाज सुधारक थे। महानुभाव पंथ के अनुयायी कड़क शाकाहारी होते हैं। साथ ही शराब आदि से सख्त परहेज करते हैं। इसी तरह आठ सौ वर्षों से कानाशी गांव की सभी जातियों और धर्मों के लोगों ने महानुभाव पंथ को गले लगाया है। इसलिए यह देखा गया है कि इस क्षेत्र के लोग बड़े आनंद के साथ शाकाहारी जीवन शैली जी रहे है।

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