महाराष्ट्र की सांगली लोकसभा सीट पर पिछले कई सालों से कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ रही है। हालांकि, इस साल के लोकसभा चुनाव में शिवसेना उद्धव गुट ने सांगली सीट पर न केवल दावा किया, बल्कि फैसला होने से पहले ही चंद्रहार पाटिल को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
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इस पर महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेताओं ने नाराजगी भी जताई, और मामला दिल्ली तक भी गया, लेकिन उद्धव खेमे ने अपना उम्मीदवार वापस लेने से मना कर दिया। हालांकि, इस सीट पर अपना हक साबित करने और उद्धव गुट से यह सीट वापस पाने के लिए कांग्रेस के जिला और राज्य स्तर के नेता खूब दम भर रहे है। एमवीए गठबंधन में कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव गुट) है। जबकि एमवीए के तीनों दल ‘इंडिया’ गठबंधन का भी हिस्सा है। सांगली के नेताओं के लिए यह प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। दरअसल, कांग्रेस महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के पोते विशाल पाटिल को सांगली से उम्मीदवार बनाना चाहती थी। पाटिल परिवार ने कई सालों तक इस सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
आज मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए संजय राउत ने कहा, “महाराष्ट्र की सभी 48 सीटें महाविकास आघाडी (एमवीए) की हैं, शिवसेना (यूबीटी) या कांग्रेस की नहीं। शिवसेना (यूबीटी) एमवीए की सभी सीटें जीतने का स्पष्ट इरादा रखती है।”
कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट के बयान का जिक्र करते हुए राउत ने कहा, “सांगली सीट शिवसेना के पास होने से कुछ लोग नाराज हो सकते हैं…।” थोराट एमवीए की सीट शेयरिंग समिति के सदस्य हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि शिवसेना को मुंबई साउथ सेंट्रल और सांगली के लिए उम्मीदवारों की घोषणा नहीं करनी चाहिए थी। क्योंकि उन सीटों पर चर्चा चल रही थी।
संजय राउत ने कहा, ”अमरावती और कोल्हापुर हमारी सीटें थीं, लेकिन हमने अपने कार्यकर्ताओं को समझाया… अगर सांगली में कांग्रेस के कुछ लोग नाराज हैं, तो उन्हें समझाना शीर्ष नेतृत्व की जिम्मेदारी है… हम सांगली की सीट जीतने की पूरी कोशिश करेंगे।”
संजय राउत दो दिनों के लिए सांगली दौरे पर जाने वाले है। इसलिए सांगली में कांग्रेस नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता आक्रामक हो गए हैं। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने तय किया है कि सांगली से कांग्रेस ही लड़ेगी। बताया जा रहा है कि सांगली सीट पर विवाद नहीं सुलझने पर कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता सामूहिक इस्तीफा देंगे। इससे पहले विश्वजीत कदम ने मुंबई में हुई कांग्रेस की बैठक का बहिष्कार कर दिया था। ऐसे में सांगली सीट को लेकर विपक्षी गठबंधन में दरार पड़ना तय माना जा रहा है।