राज्य सरकार ने महाराष्ट्र आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (मेस्मा) लागू कर दिया है और हड़ताली बिजली कर्मियों के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही है। साथ ही सरकार ने संबंधित अधिकारियों को राज्य में बिजली की सामान्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।
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महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव कृष्ण भोईर ने कहा कि राज्यभर में विरोध शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है, उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी कर्मचारी अपने प्रतिष्ठानों के बाहर बने पंडालों में धरना दे रहे हैं। भोईर ने कहा कि राज्य सरकार ने उन्हें बातचीत करने के लिए बुलाया है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ दोपहर करीब एक बजे सह्याद्री गेस्ट हाउस में कर्मचारी संघों की कार्य समिति के सदस्यों के साथ बैठक होगी।
आम लोगों ने सोशल मीडिया पर शिकायत की है कि पुणे के कुछ हिस्सों में आधी रात से बिजली आपूर्ति बाधित है। पुणे के माणिकबाग, शिवणे-उत्तमनगर समेत कुछ इलाकों में आधी रात से बिजली कटी हैं। पिंपरी इलाके में भी बिजली आपूर्ति बाधित हुई है।
उधर, अहमदनगर शहर के कई हिस्सों में बिजली नहीं है और लोगों ने शिकायत की है कि महावितरण कंपनी द्वारा जारी किये गए हेल्पलाइन नंबर पर भी कोई मदद नहीं मिल रही है। पंढरपुर शहर के सरगम चौक, इसबावी आदि इलाकों में सुबह सात बजे से बिजली गुल हो गई। चूंकि बिजली कर्मचारी हड़ताल पर हैं, इसलिए बिजली आपूर्ति बहाल करना मुश्किल हो गया है। राज्य के कई अन्य हिस्सों में भी आम नागरिक बिजली कर्मियों की हड़ताल से प्रभावित हो रहे है।
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (महावितरण), महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (महापारेषण) और महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन कंपनी लिमिटेड (महानिर्मिती) राज्य के स्वामित्व वाली बिजली कंपनियां हैं, जिसके कर्मचारी इस हड़ताल का हिस्सा है।
भोईर के मुताबिक, चालकों, वायरमैन, अभियंताओं और अन्य कर्मचारियों की 30 से अधिक यूनियन सरकारी विद्युत कंपनियों के निजीकरण के प्रयास को विफल करने के लिए एक साथ आये हैं। उन्होंने कहा, “तीन बिजली कंपनियों के लगभग 86,000 कर्मचारी, अधिकारी और इंजीनियर, 42 हजार संविदा कर्मचारी और सुरक्षा गार्ड निजीकरण के विरोध में बुधवार से 72 घंटे की हड़ताल करेंगे।”