मिली जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी की सरकार का इसी हफ्ते कैबिनेट विस्तार होने वाला था, लेकिन कई कारणों से टल गया। नई सरकार में मंत्रियों के पद खाली होने से कई विभागों के कामों पर असर पड़ रहा है जिसकी वजह से कई विकास के काम अटक गए हैं। नई सरकार के गठन के 36 दिन बाद भी शिंदे कैबिनेट विस्तार पर सस्पेंस बरकरार है।
क्या कैबिनेट विस्तार में होगी देरी?
शिंदे सरकार ने राज्य के विभिन्न विभागों के सचिवों को मंत्रियों की तरह निर्णय लेने की शक्ति प्रदान की है। इससे कयास लगाये जा रहे है कि शिंदे सरकार की कैबिनेट विस्तार में अभी और देरी होने की संभावना है।
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क्या कैबिनेट विस्तार में होगी देरी?
शिंदे सरकार ने राज्य के विभिन्न विभागों के सचिवों को मंत्रियों की तरह निर्णय लेने की शक्ति प्रदान की है। इससे कयास लगाये जा रहे है कि शिंदे सरकार की कैबिनेट विस्तार में अभी और देरी होने की संभावना है।
राज्य के सचिवों को मंत्री और राज्य मंत्रियों के अधिकार सौंपे गए हैं। खबर है कि इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव ने आदेश भी जारी कर दिया है। दरअसल मंत्रियों द्वारा लिए जाने वाले फैसले, कई आदेश जिसकी तुरंत जरूरत होती है के सभी अधिकार मंत्रियों के पास होते हैं। गृह, राजस्व और शहरी विकास मंत्रालय में पिछले महीने से कई अपीलें लंबित हैं।
बता दें कि शिंदे सरकार का कैबिनेट गठन मुख्य तौर पर सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की वजह से लटका हुआ है। देश की शीर्ष कोर्ट में महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक संकट से जुड़ी छह याचिकाएं लंबित हैं। इन याचिकाओं में महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिंदे गुट और बीजेपी के गठबंधन को आमंत्रित करने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के 30 जून के फैसले को और उसके बाद विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट को भी चुनौती दी गई है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ सीएम एकनाथ शिंदे पिछले एक महीने से अधिक समय से राज्य की सरकार चला रहे हैं, महज दो कैबिनेट मंत्रियों वाली सरकार की विपक्ष भी जमकर आलोचना कर रही है।