मुंबई जैसे बड़े शहर में चाय बेचकर गुजर-बसर करने वाले परिवार में पैदा हुए महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने एबीवीपी में जगह बनाने से पहले कॉलेज के दिनों में संघर्ष किया। उन्होंने 1990 में श्रीनगर में तिरंगा लहराने के लिए एबीवीपी के चलो कश्मीर अभियान का भी नेतृत्व कर चुके है।
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2014 में बनाए गए थे मंत्री: बता दें कि साल 2005 में चंद्रकांत पाटिल बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें पार्टी की महाराष्ट्र इकाई का सचिव नियुक्त किया गया। वह 2008 और 2014 में पुणे स्नातक चुनाव क्षेत्र से विधान पार्षद का चुनाव जीते। इसके बाद साल 2014 में जब बीजेपी महाराष्ट्र में सत्ता में आई तो चंद्रकांत पाटिल को कैबिनेट में जगह मिली। पाटिल के पास राजस्व, कपड़ा, लोक निर्माण विभाग, सहकारिता और वाणिज्य विभाग का प्रभार रहा। पुणे से पाटिल ने लड़ा था चुनाव: 2019 में चंद्रकांत पाटिल ने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसके बाद बीजेपी ने पाटिल को पुणे शहर से पार्टी की तत्कालीन विधायक मेधा कुलकर्णी की जगह उम्मीदवार चुना। पाटिल का ताल्लुक कोल्हापुर जिले से है, लेकिन वह वहां से कभी चुनाव नहीं लड़े। एबीवीपी में रहने के दौरान ही वह बीजेपी के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के संपर्क में आए।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में आज एकनाथ शिंदे की कैबिनेट का विस्तार हुआ। 18 विधायकों ने राजभवन में मंत्रिपद की शपथ ली। इनमें 9 मंत्री बीजेपी और 9 मंत्री एकनाथ शिंदे गुट के हैं। महाराष्ट्र में सत्ता पलटने के बाद 30 जून को एकनाथ शिंदे ने सीएम पद की और देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। हालांकि, सरकार गठन के 40 दिन बाद यह पहला मंत्रिमंडल विस्तार है। पिछले महीने चंद्रकांत पाटिल ने कहा था कि पार्टी ने ‘‘भारी मन’’ से फडणवीस के बजाय शिंदे को सीएम बनाने का फैसला लिया। हालांकि, बाद में बीजेपी नेता आशीष सेलार ने कहा था कि यह न तो पाटिल का अपना रुख है और न ही पार्टी का रुख है और वह केवल सामान्य कार्यकर्ताओं की भावनाओं को अभिव्यक्त कर रहे थे।