केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हाल ही में महाराष्ट्र दौरे पर आये थे। उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस से इस पर कई बार चर्चा की थी। इसके बाद सीटों के आवंटन को लेकर कई बैठकें भी हुईं। लेकिन महायुति के सीट बंटवारे का फ़ॉर्मूला तय नहीं हो सका।
यह भी पढ़ें
Lok Sabha Election: महाराष्ट्र में 26 अप्रैल से 5 चरणों में होगा मतदान, जानें आपके निर्वाचन क्षेत्र में वोटिंग कब?
उधर, बीजेपी ने राज्य की 48 में से 20 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार भी उसमें से 20 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं। ताजा रिपोर्ट्स की मानें तो चार सीटों पर बीजेपी और शिवसेना में जबरदस्त रस्साकशी चल रही है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले चुनाव में ये चारों सीटें शिवसेना (अविभाजित) ने जीती थीं। इन निर्वाचन क्षेत्रों के सांसदों ने शिवसेना में फूट पड़ने के बाद एकनाथ शिंदे के साथ जाने का फैसला किया था।
शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने डिमांड रखी है है कि उनका साथ देने वाले 13 सांसदों का टिकट नहीं काटा जाना चाहिए। शिंदे ने शाह से भी उन निर्वाचन क्षेत्र को शिवसेना के लिए छोड़ने का अनुरोध किया था। लेकिन इसके बाद भी बीजेपी उन चार सीटों पर जोर दे रही है। सूत्रों ने बताया कि बीजेपी तर्क दे रही है कि जीतने की योग्यता के आधार पर सीट आवंटन होना चाहिए।
इन सीटों पर BJP की नजर?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी ने रामटेक, यवतमाल-वाशिम, कोल्हापुर और उत्तर पश्चिम मुंबई सीटों पर दावा किया है। इन चारों सीटों पर फिलहाल शिंदे गुट के सांसद हैं। लेकिन इस बार बीजेपी इन निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है। दरअसल, अगर शिंदे के सांसदों को दोबारा टिकट नहीं मिला तो पार्टी में अंदरूनी कलह की आशंका है और कई नेता शिंदे का साथ भी छोड़ सकते हैं। इसलिए सीट शेयरिंग के ऐसे फॉर्मूले पर मंथन हो रहा है जिससे किसी दल में कोई नाराजगी न रहे।
इन सीटों पर BJP की नजर?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी ने रामटेक, यवतमाल-वाशिम, कोल्हापुर और उत्तर पश्चिम मुंबई सीटों पर दावा किया है। इन चारों सीटों पर फिलहाल शिंदे गुट के सांसद हैं। लेकिन इस बार बीजेपी इन निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है। दरअसल, अगर शिंदे के सांसदों को दोबारा टिकट नहीं मिला तो पार्टी में अंदरूनी कलह की आशंका है और कई नेता शिंदे का साथ भी छोड़ सकते हैं। इसलिए सीट शेयरिंग के ऐसे फॉर्मूले पर मंथन हो रहा है जिससे किसी दल में कोई नाराजगी न रहे।