अप्पासाहेब धर्माधिकारी ने इस मौके पर बड़ी घोषणा की। उन्होंने मुख्यमंत्री सहायता कोष में पुरस्कार के तौर पर मिली 25 लाख की नकद राशि को दान दे दिया। खारघर के विशाल कॉरपोरेट पार्क में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार समारोह के लिए भव्य व्यवस्था की गई थी। राज्य सरकार ने अनुमान जताया है कि कार्यक्रम में करीब 15 लाख लोग शामिल हुए।
अमित शाह हुए मुरीद
इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, प्रसिद्धि की चाह के बिना जीवनभर जनसेवा करने वाले समाजसेवी अप्पासाहेब धर्माधिकारी जी के सम्मान में लाखों-लाखों लोगों का जनसैलाब अद्भुत है। लोगों से इस प्रकार का मान, सम्मान और भक्तिभाव केवल और केवल त्याग, समर्पण और सेवा से ही बनाता है।
यह भी पढ़ें
महाविकास आघाडी दिखाएगी दम! नागपुर में आज ‘वज्रमूठ’ रैली, अजित पवार के शामिल होने पर सस्पेंस
धर्माधिकारी को महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार केंद्रीय मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में प्रदान किये जाने की घोषणा के बाद से ही बड़ी संख्या में लोग शहर में पहुंचने लगे थे। वृक्षारोपण अभियान, रक्तदान और चिकित्सा शिविरों के साथ-साथ आदिवासी क्षेत्रों में नशामुक्ति कार्यों के कारण राज्य में धर्माधिकारी के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं।अमित शाह हुए मुरीद
इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, प्रसिद्धि की चाह के बिना जीवनभर जनसेवा करने वाले समाजसेवी अप्पासाहेब धर्माधिकारी जी के सम्मान में लाखों-लाखों लोगों का जनसैलाब अद्भुत है। लोगों से इस प्रकार का मान, सम्मान और भक्तिभाव केवल और केवल त्याग, समर्पण और सेवा से ही बनाता है।
उन्होंने कहा, “तीन-तीन पीढ़ियों तक समाजसेवा करने वाले अप्पासाहेब जी को महाराष्ट्र सरकार ने यह सम्मान देकर इस सम्मान की गरिमा को और बढ़ा दिया है। महाराष्ट्र शासन ने अप्पासाहेब धर्माधिकारी जी को महाराष्ट्र भूषण देकर न केवल उनका सम्मान किया है बल्कि लाखों-लाखों लोगों को उनकी तरह जीवन जीने की प्रेरणा देने का काम भी किया है।“
बीजेपी के वरिष्ठ नेता शाह ने आगे कहा, “समाज को भाषण से दी हुई सीख, धर्म से दी हुई सीख व मंत्रों से दी हुई सीख अल्पजीवी होती है। लेकिन कर्मों के माध्यम से दी जाने वाली सीख चिरंजीवी होती है। अप्पासाहेब ने लाखों करोड़ो लोगों को अपने कार्यों से समाज के लिए जीवन जीने हेतु प्रेरित किया है।“
किसे मिलता है सम्मान?
मालूम हो कि महाराष्ट्र में 1995 में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के सत्ता में आने के बाद महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार की स्थापना की गई थी। शुरुआत में यह पुरस्कार साहित्य, खेल और विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वालों को दिया जाता था, लेकिन बाद में इसे सामाजिक कार्य, पत्रकारिता, लोक प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी प्रदान किया जाने लगा।