बताया जा रहा है कि इस बार भी लोकसभा की तरह बीजेपी सहयोगियों से ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रही है। वहीं दूसरी ओर लोकसभा के स्ट्राइक रेट, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बढ़ी लोकप्रियता के चलते शिवसेना मांग कर रही है कि उसे और ज्यादा सीटें मिलें। यही वजह है कि 30 निर्वाचन क्षेत्रों को लेकर महायुति में अब भी रस्साकशी जारी है।
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सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में सर्वे का कारण सुनने के बाद शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कुछ सीटें छोड़ीं, कुछ सीटों पर उम्मीदवार बदले और नरम रुख अपनाया। लेकिन अब तस्वीर बल्ड चुकी है और शिंदे ने भी रुख कुछ कड़ा कर लिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बीजेपी द्वारा घोषित कुछ उम्मीदवारों पर नाराजगी व्यक्त की है। शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को उम्मीद से कम सीटें मिल रही हैं, दोनों बीजेपी आलाकमान पर और सीटें देने का दबाव बना रहे है। इसलिए सीटों के बंटवारे को लेकर महायुति में भी विवाद सुलझ नहीं सका है।
सीट शेयरिंग के मुद्दे को सुलझाने के लिए एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार फिर बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक करेंगे। कहा जा रहा है कि गठबंधन में कम सीटें मिलने के कारण ही अजित पवार दिल्ली गए है।
इस साल हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन को झटका लगा था। राज्य की 48 संसदीय सीट में से सत्तारूढ़ गठबंधन को केवल 17 पर जीत मिली थी। वहीं, महाविकास आघाडी (एमवीए) ने 30 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया था। एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और राकांपा (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं। महायुति में सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी 9 सीटों पर सिमट गई, जबकि शिवसेना की झोली में 7 और एनसीपी की झोली में एक सीट आई। 2019 लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी ने 23 सीटों पर जीत हासिल की थी।