देश के उन तमाम बड़े और सुरक्षा मामलों में तगड़े पहुंच रखने वाले आईपीएस अधिकारियों में सफल माने जाते रहे हैं । इसका अंदाजा इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनपर डोभाल और मोदी सरकार ने भरोसा जताया है ।अजीत डोभाल के साथ काम करने का मौका दिया
वर्ष 1982 में आईपीएस बने दत्ता महाराष्ट्र में ही कई क्षेत्र में काम कर चुके हैं । आईपीएस अधिकारी ने महाराष्ट्र में जांच पड़ताल विभाग में उपायुक्त ,आर्थिक अपराध शाखा में भी उपायुक्त और दक्षिण मुंबई के झोन 1 में भी उपायुक्त पद पर रहकर काम किया है । महाराष्ट्र में कई पदों पर सेवा के बाद इन्हें दिल्ली में आईबी में भेज दिया गया था । उसके बाद कई वर्षों तक वहां काम किया। लेकिन महाराष्ट्र में जब भाजपा की सरकार आई तब केंद्र की भाजपा सरकार ने विश्वास जताते हुए प्रतिनियुक्ति पर महाराष्ट्र में लेकर आई ।
वर्ष 2016 में राज्य की अंतरिम सुरक्षा व्यबस्था को लेकर संकट से गुजर रही राज्य की भाजपा सरकार ने दिल्ली से कुशल नेटवर्क वाले अधिकारी की मांग की । और मोदी सरकार ने पडसलगीकर को भेज दिया । पहले मुम्बई कमिश्नर फिर राज्य के डीजीपी बनाये गए । पडसलगीकर के रहते हुए राज्य में एक भी आतंकी घटनाएं नही हो पाई ।
इनके कार्यकाल में राज्य में एक भी घटना नही हो सकी यहां तक कि मराठा आंदोलन के समय दंगा की योजना को भी फ्लॉप कर दिया गया था । वह इनकी ही सफलता थी ।