डेयरी एवं पशुपालन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने अकोला में प्रेस वार्ता में कहा, हालांकि लंपी बीमारी से पीड़ित मवेशियों की मृत्यु दर बहुत कम है, लेकिन फिर भी टीकाकरण को प्राथमिकता दी जा रही है। लंपी एक पशु चर्म रोग है, जिसे फैलने से रोकने के लिए पशुपालन विभाग प्रयास कर रहा है। मवेशियों की मृत्यु की स्थिति में पशुपालन को सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव जल्द कैबिनेट बैठक में पेश किया जाएगा।
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उन्होंने बताया कि लंपी वायरस का संक्रमण रोकने के लिए निवारक उपायों के तहत पशु बाजार वर्तमान में बंद किये गए हैं। अंतर-राज्यीय, अंतर-जिला और अंतर-तालुका स्तरों पर जानवरों के परिवहन को रोक दिया गया है। ताजा जानकारी के मुताबिक, राज्य में लंपी वायरस से हजारों मवेशी संक्रमित हुए है और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। प्रदेश में इस से 32 मवेशियों की मौत हो चुकी है, अकेले जलगांव जिले में लंपी वायरस से पीड़ित 12 मवेशियों की मौत हुई है।
लंपी बीमारी के लक्षण? लंपी एक संक्रामक रोग है, जिसकी चपेट में आने वाले मवेशियों की त्वचा पर गांठें हो जाती हैं। इससे पीड़ित मवेशियों को बुखार, दूध कम बनना, त्वचा पर गांठ, नाक तथा आंखों से पानी निकलना आदि समस्या होती हैं. हालांकि इस बीमारी का इलाज संभव है।
प्रशासन अलर्ट मोड पर! राज्य में लंपी के बढ़ते प्रकोप को देखते प्रशासन अलर्ट मोड पर है। पशुपालन विभाग ने किसानों से अपील की है कि उनके मवेशियों में लंपी के लक्षण दिखने पर तुरंत पशु औषधालय या पशुपालन विभाग के टोल-फ्री नंबर 18002330418 या पशु चिकित्सा सेवाओं के लिए राज्य-स्तरीय टोल-फ्री नंबर 1962 पर संपर्क करें।