इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से चल रही क्लासों और अनुवाद की सहायता से बच्चों ने काफी कुछ सिख लिया है। स्कूल के टीचर दादासाहेब नवपुत ने बताया कि अधिकांश बच्चों ने कहा कि वे रोबोटिक्स और प्रौद्योगिकी में रुचि रखते थे और जापानी भाषा सीखने चाहते हैं।
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दादासाहेब नवपुत ने आगे बताया कि जापानी भाषा सिखाने के लिए कोई उचित पाठ्यक्रम सामग्री और पेशेवर मार्गदर्शन नहीं होने के बाद भी स्कूल प्रशासन इंटरनेट पर वीडियो और अनुवाद से जानकारी जुटाने में कामयाब रहा। स्कूल की इस शानदार पहल के बारे में जानने के बाद अब जिले के भाषा विशेषज्ञ सुनील जोगदेओ ने स्कूल प्रशासन से संपर्क किया और अब वे बच्चों को जापानी भाषा पढ़ा रहे हैं। सुनील जोगदेओ ने कहा कि जुलाई महीने से मैं 20 से 22 सेशन आयोजित किए हैं। बच्चे बड़े दिलचस्पी के साथ जापानी भाषा सीखना चाहते हैं। थोड़े समय में उनका काफी कुछ सीख लेना बड़ी बात है। वहीं इस प्रोसेस में कुछ छात्रों के पास मोबाइल फोन न होने के कारण थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। जिसकी वजह से स्कूल ने ‘विश्वमित्र’ पहल को प्रारंभ किया जिसके तहत बच्चे ऑनलाइन क्लास में जो भी सीखते हैं वो अपने साथी छात्रों को भी सिखाते हैं। औरंगाबाद जिला परिषद के शिक्षा विस्तार अधिकारी रमेश ठाकुर ने कहा कि स्कूल में 350 से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं, जिनमें से 70 जापानी भाषा सीख रहे हैं। इसका उद्देश्य छात्रों को इंटरनेशनल लेबल की शिक्षा प्रदान करना है।