हादसे के बाद बीएमसी और म्हाडा ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं है, कि अवैध इमारतों के पानी का बिल बीएमसी को मिलता है। बिजली बिल का भुगतान भी रहवासी करते हैं। ऐसे में म्हाडा और बीएमसी का यह कहना आसानी से नहीं पच रहा कि धराशायी हुई इमारत के प्रति उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। चव्हाण के बयान से यह भी साफ हो जाता है कि डी-कंपनी के सामने प्रशासन और सरकार कितने पंगु हैं। बड़ा सवाल यह कि आखिर मुंबईकरों की मौत का सिलसिला कब थमेगा?
स्थानीय नेताओं की भूमिका
म्हाडा अध्यक्ष उदय सामंत ने कहा कि हमारा काम पुनर्विकास करना है। म्हाडा का प्रयास लोगों को किफायती दर पर घर उपलब्ध कराना है। म्हाडा के कार्य क्षेत्र में गिरी हुई इमारत नहीं आती। दक्षिण मुंबई में अनगिनत अनधिकृत इमारतें हैं। वहीं नियमों को ताक पर रखते हुए दो मंजिला के इतर लोगों ने स्थानीय नेताओं की शह पर चार-छह मंजिल की बिल्डिंग अवैध रूप से बना रखी है। म्हाडा की ओर से इस साल 23 इमारतें अति-जर्जर घोषित की गई हैं। इसके लिए संबंधित बिल्डिंग के रहवासियों को नोटिस भी जारी किया गया है।
म्हाडा अध्यक्ष उदय सामंत ने कहा कि हमारा काम पुनर्विकास करना है। म्हाडा का प्रयास लोगों को किफायती दर पर घर उपलब्ध कराना है। म्हाडा के कार्य क्षेत्र में गिरी हुई इमारत नहीं आती। दक्षिण मुंबई में अनगिनत अनधिकृत इमारतें हैं। वहीं नियमों को ताक पर रखते हुए दो मंजिला के इतर लोगों ने स्थानीय नेताओं की शह पर चार-छह मंजिल की बिल्डिंग अवैध रूप से बना रखी है। म्हाडा की ओर से इस साल 23 इमारतें अति-जर्जर घोषित की गई हैं। इसके लिए संबंधित बिल्डिंग के रहवासियों को नोटिस भी जारी किया गया है।
होनी चाहिए कार्रवाई
आज भी डी-कंपनी का खौफ सरकारी तंत्र में कायम है। इसी की वजह से अफसर इन अवैध निर्माणों पर कार्रवाई से बचते हैं। मेरी राय में अवैध निर्माण के खिलाफ फौरन कार्रवाई होनी चाहिए।
मधु चव्हाण, प्रेसिडेंट, मुंबई म्हाडा
आज भी डी-कंपनी का खौफ सरकारी तंत्र में कायम है। इसी की वजह से अफसर इन अवैध निर्माणों पर कार्रवाई से बचते हैं। मेरी राय में अवैध निर्माण के खिलाफ फौरन कार्रवाई होनी चाहिए।
मधु चव्हाण, प्रेसिडेंट, मुंबई म्हाडा