इसी दौरान मुंबई में एक अनोखा नजारा देखने मिला, जहां लगभग 50 पत्नी पीड़ित पतियों ने अपनी जीवित पत्नियों का पिंडदान किया। इन पतियों ने शादी की बुरी यादों से छुटकारा पाने के लिए पूरे विधि विधान के साथ अपनी जीवित पत्नियों का पिंडदान किया। इनमें से एक पति ने मुंडन भी कराया तो बाकियों ने केवल पूजा में भाग लिया।
बता दें कि पिंडदान का कार्यक्रम पत्नी पीड़ित पतियों की संस्था वास्तव फाउंडेशन की ओर से मुंबई में आयोजित किया गया था। वास्तव फाउंडेशन के अध्यक्ष अमित देशपांडे ने बताया कि इस पिंडदान के पीछे एक बड़ी वजह है। ये सभी पति अपनी पत्नियों के उत्पीड़न से काफी परेशान थे। इन पतियों में से ज्यादातर ऐसे पति हैं, जिनका या तो तलाक हो चुका है या फिर वो अपनी पत्नी को छोड़ चुके है। लेकिन पत्नियों की बुरी यादें अभी भी उन्हें लगातार परेशान कर रही है। इन्ही बुरी यादों से छुटकारा पाने के लिए पिंडदान का आयोजन किया गया है।
वहीं, दूसरी तरफ पिंडदान करने वाले पतियों का कहना है की महिलाएं अपनी आजादी का फायदा उठाकर उनका शोषण करती हैं, लेकिन उनके आगे पुरुषों की कोई सुनवाई नही होती है। अपनी पत्नियों के साथ उनका रिश्ता एक तरह से ख़त्म हो गया है। जिसकी वजह से पितृपक्ष के अवसर पर ये पिंडदान किया गया है, ताकि बुरी यादों से उन्हें निजात मिल सके। बता दें कि वास्तव फाउंडेशन इस तरह का आयोजन हर साल अलग अलग शहरों में करवाता है, ताकि ऐसे पीड़ित पति जो अपनी पत्नियों के उत्पीड़न को भुला नही पा रहे हैं और अपने बुरे रिश्ते का बोझ उठाने को मजबूर हैं, उससे इन्हें छुटकारा मिल सके।