मिली जानकारी के मुताबिक, गुरुवार को पेशी के दौरान लकड़ावाला ने बोतल दिखाई, जिसमें मच्छर थे, और जज से कहा कि जेल के अंदर ज्यादातर कैदियों को हर दिन यही झेलना पड़ता है। लकड़ावाला ने कोर्ट से गुहार लगाई कि उसे व अन्य विचाराधीन कैदियों को मच्छरदानी मुहैया करवायी जाये। हालांकि कोर्ट ने लकड़ावाला की याचिका को खारिज कर दिया।
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जेल अधिकारियों ने कहा कि इसमें इस्तेमाल होने वाली कील और तार से सुरक्षा को खतरा हो सकता है जिसके बाद उसकी याचिका खारिज हो गई। लकड़ावाला ने अदालत को बताया कि 2020 में न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद से वह तलोजा जेल में बंद है। उन्होंने कहा कि उस समय उन्हें मच्छरदानी का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन बाद में जब जेल अधिकारियों ने विचाराधीन कैदियों के सभी सामानों की तलाशी ली तो मच्छरदानी ले लिया गया। लकड़ावाला ने यह भी दलील थी रात में बैरक की रखवाली करने वाले जेल कर्मचारियों को मच्छरदानी दी जाती है, साथ ही कुछ विचाराधीन कैदियों को भी कोर्ट के आदेश पर मच्छरदानी का उपयोग करने की अनुमति दी गई है।
जेल अधिकारियों ने लकड़ावाला की याचिका का विरोध किया और सुरक्षा का मुद्दा उठाया. कोर्ट को बताया कि मच्छरदानी लगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कीलें और तार सुरक्षा संबंधी चिंता पैदा कर सकते हैं। साथ ही बताया कि जेल अधिकारियों ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि जेल में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं की सूची में मच्छरदानी का उल्लेख नहीं है।
लेकिन लकड़ावाला ने कहा कि वह बिना किसी कील और तार के मच्छरदानी का उपयोग करेंगे। लेकिन कोर्ट ने लकड़ावाला की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह ओडोमॉस और अन्य रिपेलंट लगा सकते है। लकड़ावाला कई आपराधिक मामलों का सामना कर रहा है, जिसमें मकोका (MCOCA) भी शामिल हैं।