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Ganesh Chaturthi Special: लालबागचा राजा के द्वार से कोई नहीं जाता खाली हाथ, जानें उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें

इस साल गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को मनाई जा रही है। इसी के साथ गणेश उत्सव की भी शुरुआत हो जाएगी। महाराष्ट्र में ये उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस साल दही हांड़ी और गणेश चतुर्थी के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।

मुंबईAug 09, 2022 / 08:59 pm

Siddharth

Lalbaugcha Raja

इस साल 31 अगस्त को देश में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दौरान गणेश उत्सव की भी शुरुआत होगी। ये उत्सव खासतौर पर महाराष्ट्र में 10 दिनों तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। जो कि इस साल 31 अगस्त को होगी। शास्त्रों के मुताबिक, भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय बताया गया है, इसलिए किसी भी शुभ अवसर पर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
इस दिन सभी गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और फिर उनका विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। लोगों का मानना है कि गणेश चतुर्थी पर अगर आप गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं तो आपके सभी कष्ट, विध्न और बाधाएं दूर हो जाती है।
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मुंबई शहर में गणपित महोत्सव बड़े स्तर पर मानाया जाता है। मुंबई में सिद्धिविनायक और लालबागचा राजा का अपना अलग ही महत्व है। आज हम आपको लालबागचा राजा के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं।
लालबागचा राजा के बारे में कुछ रोचक तथ्य: मुंबई के सबसे अधिक देखे जाने वाले गणेश मंडल, लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल में भगवान गणेश की प्रतिमा बैठा दी गई है। लालबागचा राजा मुंबई के सबसे प्रसिद्ध गणेश मंडलों में से एक है। यहां देश-विदेश के लोगों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी हस्तियां लालबागचा राजा के दर्शन के लिए आते है।
मनोकामनाएं पूरी करते हैं लालबागचा राजा: ऐसा कहा जाता है कि लालबागचा राजा एक नवसाचा गणपति हैं (जिसका अर्थ है जो सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं) और हर साल यहां 10 दिनों के दौरान कई लाख श्रद्धालू आते हैं। लालबागचा राजा के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है।
भगवान से वादा करने पर दी गई थी परमानेंट जगह: कहा जाता है कि साल 1932 में पेरु चॉल मार्केटप्लेस बंद हो गई थी और जिसके चलते यहां रहने वाले मछुआरों और विक्रेताओं, जिन्हें अपना सारा सामान, सारा माल बेचना पड़ा था। इन लोगों ने बाजार फिर से बन जाने पर कसम खाई थी कि वह भगवान गणेश को एक स्थायी जगह देंगे। बाजार बनने के बाद यहां रहने वालों ने अपने वादे को पूरा किया और मछुआरों और ट्रेडर्स ने ठीक 2 साल बाद यानी 12 सितंबर 1934 में गणेश जी की प्रतिमा यहां स्थापित की थी।
दर्शन के लिए लगती हैं दो लाइन: बता दें कि लालबागचा राजा के दर्शन करने के लिए यहां हर बार दो लाइन लगती हैं- नवसाची लाइन और मुख दर्शनाची लाइन। पहला उन भक्तों के लिए है जो अपनी इच्छाओं को पूरा करना चाहते हैं, जहां उन्हें मंच पर जाना है, देवता के चरणों को छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है। दूसरा भक्तों को थोड़ी दूर से मूर्ति की एक झलक पाने की अनुमति देता है।
सबसे लंबा विसर्जन जुलूस यहीं आयोजित होता है: बता दें कि मुंबई का लालबागचा राजा देश में सबसे लंबा विसर्जन जुलूस आयोजित करता है। यहां विसर्जन की प्रक्रिया सुबह 10 बजे शुरू होती है और अगले दिन सुबह समाप्त होती है। इसके बाद दूसरा सबसे लंबा विसर्जन जुलूस अंधेरीचा राजा का है।

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