आयोग ने कहा कि अंधेरी उपचुनाव के लिए तीन अक्टूबर को अधिसूचन जारी हो चुका है, ऐसे में अंतरिम आदेश की आवश्यक है। अंतरिम आदेश में कहा गया ‘‘आयोग का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि उपचुनाव कह पूरी चुनावी प्रक्रिया किसी भी भ्रम से मुक्त हो, इसलिए अगला कदम यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि चुनाव में हिस्सा ले रहे किसी भी गुट को अनुचित लाभ/हानि ना हो।’’
आगे अब क्या होगा?
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों में से किसी को भी अब ‘शिवसेना’ पार्टी के नाम का उपयोग और उसके ‘धनुष और बाण’ के निशान का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी।
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चुनाव आयोग के आदेश में कहा गया है, ‘‘दोनों गुटों में से किसी को भी ‘शिवसेना’ के लिए आरक्षित चुनाव चिन्ह ‘तीर कमान’ का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। दोनों गुट उन नये नामों से जाने जाएंगे, जिनका वे चुनाव करेंगे।’’आगे अब क्या होगा?
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों में से किसी को भी अब ‘शिवसेना’ पार्टी के नाम का उपयोग और उसके ‘धनुष और बाण’ के निशान का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी।
चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को 10 अक्टूबर दोपहर 1 बजे तक अपनी पसंद के अपनी-अपनी पार्टी के लिए तीन-तीन नये नाम और चुनाव चिन्ह पेश करने के लिए कहा है। यह नाम व प्रतीक आयोग द्वारा आवंटित किया जायेगा।
इस वजह से आई यह नौबत
इसी साल जून महीने में शिवसेना दो धड़ों में बंट गई और दोनों खेमे खुद के ‘असली शिवसेना’ होने का दावा करते हुए निर्वाचन आयोग से पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह उन्हें आवंटित करने का अनुरोध किया था। इस बीच शिंदे गुट ने 4 अक्टूबर को आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव में उसे ‘शिवसेना के नाम और निशान’ का उपयोग करने की अनुमति दी जाए। हालांकि ठाकरे गुट ने भी अपना जवाब शनिवार को दिया और विरोधी गुट के दस्तावेजों और दावों का अध्ययन करने के लिए निर्वाचन आयोग से चार हफ्ते का समय मांगा था।
चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएगी उद्धव गुट
निर्वाचन आयोग द्वारा शिवसेना के धनुष-बाण चुनाव चिह्न को फ्रीज करने पर ठाकरे गुट के शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा “बिना सुनवाई, बिना जांच के इन्होंने हमारे चुनाव चिह्न को फ्रीज कर दिया है। देश तानाशाही की तरफ जा रहा है। संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हम बॉम्बे हाईकोर्ट जाएंगे।”