मुंबई

जज्बे को सलाम! सिर पर चोट, शरीर पर कई घाव… फिर भी हजार किमी दूर जाकर डॉक्टर ने किया फेफड़ा ट्रांसप्लांट

Lung Transplant Surgery: डॉ संजीव जाधव ने कहा, हमें खुशी है कि फेफड़े के प्रत्यारोपण के कारण मरीज को नया जीवन मिला।

मुंबईNov 23, 2023 / 01:21 pm

Dinesh Dubey

डॉ संजीव जाधव

Pune Accident: हजार किलोमीटर दूर जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे मरीज की जान बचाने के लिए एक सीनियर डॉक्टर व उनकी टीम ने अपने दर्द को नजरअंदाज कर दिया। दरअसल, चेन्नई में एक मरीज का फेफड़ा प्रत्यारोपण (लंग्स ट्रांसप्लांट) किया जाना था। इसके लिए पुणे के पास स्थित एक अस्पताल से निकाले गए फेफड़ों को लेकर कार्डियोथोरेसिक सर्जन के साथ मेडिकल टीम एंबुलेंस से एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, एयरपोर्ट पहुंचने से पहले ही एंबुलेंस हादसे का शिकार हो गई। दुर्घटना में सर्जन डॉ. संजीव जाधव और मेडिकल टीम को काफी चोटें आईं। लेकिन कर्तव्य के प्रति असाधारण समर्पण दिखाते हुए सभी अपनी चोटों को भूल गए और अपनी आगे की यात्रा पर निकल पड़े। कुछ ही घंटों में चेन्नई में सर्जन ने जीवनरक्षक सर्जरी की और युवक को नई जिंदगी दी।
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सोमवार रात को दुर्घटना में घायल होने के बावजूद वरिष्ठ डॉ. संजीव जाधव ने अपने तय कार्यक्रम को जारी रखा और अपनी मेडिकल टीम की सहायता से लोहेगांव एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से चार्टर्ड विमान से तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई जाकर 26 वर्षीय मरीज के फेफड़े के प्रत्यारोपण की सर्जरी की।
नवी मुंबई में अपोलो अस्पताल के मुख्य कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. जाधव और मेडिकल टीम फेफड़ों को लेकर जिस एंबुलेंस से जा रहे थे उसका सोमवार शाम 5 बजे पिंपरी-चिंचवड़ के पास टायर फटने से एक्सीडेंट हो गया। डॉ. जाधव ने कहा कि हैरिस ब्रिज पर हादसे के बाद बिना समय बर्बाद किये वें एंबुलेंस के पीछे चल रही एक अन्य कार से एयरपोर्ट पहुंचे।
उन्होंने कहा, एक मरीज से निकाले गए जीवनरक्षक अंग (फेफड़ों) के साथ वह एयरपोर्ट पहुंचे और चार्टर्ड विमान से चेन्नई के लिए उड़ान भरी। सोमवार को आत्महत्या करने वाले 19 वर्षीय व्यक्ति के फेफड़े पिंपरी-चिंचवड़ के डीवाई पाटिल अस्पताल में निकाले गए थे। इस महत्वपूर्ण अंग को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भेजा जाना था, जहां एक मरीज का फेफड़े का प्रत्यारोपण किया जाना था।
डॉ. जाधव ने कहा कि प्रत्यारोपण के लिए मरीज के फेफड़ों को समय पर चेन्नई भेजना बेहद जरुरी था। आम तौर पर किसी के शरीर से निकाले गए अंग का छह घंटे में प्रत्यारोपण किया जाना जरूरी होता है।
जाधव ने कहा, दुर्घटना से बहुत तेज झटका लगा। पुल की रेलिंग से टकराने के बाद एंबुलेंस का अगला हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और ऑक्सीजन सिलेंडर बाहर जा गिरा। उनके घुटनों, हाथों और सिर पर चोटें आईं और टीम के अन्य सदस्यों को भी चोटें आईं। उन्होंने सबसे पहले घायल ड्राइवर को डीवाई पाटिल अस्पताल पहुंचाया और दूसरे वाहन से शाम 6 बजे एयरपोर्ट पहुंचे।
कार्डियोथोरेसिक सर्जन और उनकी मेडिकल टीम की त्वरित कार्रवाई और समर्पण के चलते लंग्स ट्रांसप्लांट सफल रहा। डॉ. जाधव ने कहा, जब हम चेन्नई के अपोलो अस्पताल पहुंचे, तो सर्जरी पहले से ही चल रही थी और देर शाम तक फेफड़े के प्रत्यारोपण की सर्जरी भी सफलतापूर्वक कर दी गयी। हमें खुशी है कि फेफड़े के प्रत्यारोपण के कारण मरीज को नया जीवन मिला।

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