अधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार, गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से जालना पुलिस को मराठा आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज करने का कोई आदेश नहीं आया था। आरटीआई कार्यकर्ता आसाराम डोंगरे के आरटीआई आवेदन से यह बात पता चली है। जालना के पुलिस उपाधीक्षक आरसी शेख ने आरटीआई पर इस संबंध में जानकारी दी है।
जालना के अंबड तालुका के अंतरवली सराटी गांव में मराठा आरक्षण के लिए आमरण अनशन पर बैठे मनोज जरांगे पाटील (Manoj Jarange) को पुलिस अस्पताल ले जाना चाहती थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों से झड़प हो गई। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। मराठा प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के बल प्रयोग का पूरे राज्य में विरोध हुआ। इस घटना के बाद राज्यभर में मराठा समुदाय आक्रामक हो गए थे। राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं थीं।
एसपी पर गिरी गाज
इस मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया था और जालना जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) तुषार दोशी को अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया था। दोशी की जगह आईपीएस अधिकारी शैलेश बलकवडे को जालना का नया एसपी बनाया गया। दरअसल इस पूरी घटना में पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठे थे।
निशाने पर फडणवीस
हालाँकि एक्शन के बावजूद मराठा समुदाय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस से नाराज हो गया। तब से मराठा समुदाय के निशाने पर मुख्य तौर पर फडणवीस रहे है।
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क्या है मामला?जालना के अंबड तालुका के अंतरवली सराटी गांव में मराठा आरक्षण के लिए आमरण अनशन पर बैठे मनोज जरांगे पाटील (Manoj Jarange) को पुलिस अस्पताल ले जाना चाहती थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों से झड़प हो गई। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। मराठा प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के बल प्रयोग का पूरे राज्य में विरोध हुआ। इस घटना के बाद राज्यभर में मराठा समुदाय आक्रामक हो गए थे। राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं थीं।
एसपी पर गिरी गाज
इस मामले को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया था और जालना जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) तुषार दोशी को अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया था। दोशी की जगह आईपीएस अधिकारी शैलेश बलकवडे को जालना का नया एसपी बनाया गया। दरअसल इस पूरी घटना में पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठे थे।
निशाने पर फडणवीस
हालाँकि एक्शन के बावजूद मराठा समुदाय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस से नाराज हो गया। तब से मराठा समुदाय के निशाने पर मुख्य तौर पर फडणवीस रहे है।
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मालूम हो कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया था, लेकिन मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की 50 प्रतिशत की ऊपरी सीमा का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया था। हालांकि राज्य सरकार की अपील पर शीर्ष कोर्ट इस मामले पर फिर सुनवाई के लिए तैयार हो गयी है। उधर, सीएम शिंदे ने स्पष्ट कहा है कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिलवाकर ही चैन से बैठेगी। फ़िलहाल मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण लागू करने के लिए राज्य सरकार को 2 जनवरी तक का समय दिया है। यह भी पढ़ें